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मिटा इतिहास वो काला, इबारत गढ

ओम प्रकाश त्रिपाठी
गोरखपुर

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मिटा इतिहास वो काला, इबारत गढ नयी डाला,
शत्रु भी सोचता होगा, पडा किससे है अब पाला।।
गया अब तीन सौ सत्तर, नया इतिहास लिख डालो।
चढाई कर पी ओ के पर, उसे अपना बना डालो।
पाक अब रह जाये जपते, यू ही कश्मीर की माला
शत्रु भी……..।।
तू ही है मान भारत का तू ही अभिमान भारत का
तू ही है शान भारत का तू ही है जान भारत का
तूने ही हर असंभव को, बना संभव है अब डाला
शत्रु भी….।।

है कुछ गद्दार भी अपने चमन मे, उनको पहचानो
है जो इस देश का दुश्मन, उसे अपना नहीं जानो
जो बोले देशद्रोही बोल, उन पर डाल दो ताला
शत्रु भी…….।।
करो ताण्डव दिखा दो शक्ति, दुश्मन बच नहीं पाये
हसरतें जो भी मन मे है, धरी की धरी रह जाये
वो खुद जल भस्म हो जाये नयन मे ऐसी हो ज्वाला
शत्रु भी….।।

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लेखक परिचय :-  ओम प्रकाश त्रिपाठी आल इंडिया रेडियो गोरखपुर


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