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महामारी

हिमानी भट्ट
इंदौर म.प्र.

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रमेश अपने परिवार के साथ गांव में रहता था, गांव के सभी लोग रमेश के घर जाने से ग्रहणा करते थे। कुछ लोगों का कहना था, घर से गोबर की बदबू आती है घास पूला भरा हुआ है। हमारे बच्चे या हम जाएंगे तो बीमार पड़ जाएंगे।
एक दिन अचानक गांव में महामारी का पूरे गांव में प्रभाव पड़ा पर रमेश का घर सुरक्षित था। लोगों की जिज्ञासा हुई इतनी भयानक महामारी जिसने पूरे गांव को जकड़ा हुआ था। रामेश का घर सुरक्षित कैसे?
रिसर्च टीम रमेश के घर आती है,
खोज में जुट जाती है, रमेश के घर में ऐसा क्या है…….??
रिसर्च टीम की खोज कुछ समय में पूरी होती है। टीम गांव वालों को कहती है। इस महामारी का इलाज मिल गया है।
गांव वाले उत्सुकता और ध्यान पूर्वक सुन रहे थे….
टीम ने कहा “हम लोग अपनी वैदिक पद्धति को भूल गए हैं। आज यदि चोट लगती है तो डॉक्टर के पास भागते हैं
क्या हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते अपनी वैदिकता को क्यों नहीं अपना सकते
शरीर पर हल्दी का लेप और उसे घोल कर पीना यह एक एंटीबायोटिक है।
इसे देवी देवता को चढ़ाने का सामान के रूप में ना देखा जाए। इसे हमें लोगों को बताना होगा। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी होगी,
कहां गए वह दिन जब जमीन पर गोबर और उसके ऊपर रंगोली बनाई जाती थी। इस कार्य को करने से घर के अंदर कीड़े मकोड़े प्रवेश नहीं करते थे। पर आज जमीन पर रंगोली के स्टिकर आ गए।
कहां गई वो परंपरा घर में तुलसी का पौधा घर के बाहर नीम का पौधा हमारे लिए औषधि का काम करती है, घर में पवित्रता के लिए गोमूत्र का छिड़काव घर में धूप ध्यान यह सब सैनिटाइजेशन का कार्य करता है।
महामारी की खोज तो पहले ही हमारे विद्वानों ने कर चुके है।
जो कि किताबों में बंद धूल खा रही है, वैदिक पद्धति के बारे में आने वाली जनरेशन को बताना होगा। यह हमारे लिए इतना जरूरी है जितना लापता व्यक्ति को अपनी खुद की जानकारी पता होना।
रिसर्च टीम बोलती है, यहीं सारे नियम रमेश के घर अपनाए जाते थे। इसी कारण से रमेश का घर सुरक्षित था।
गांव वाले अंदर से शर्मिंदा हुए। गांव वालों ने रमेश से माफी मांगी रमेश ने कहा मित्रों इसका पश्चाताप यह होगा हमें घर घर गांव गांव वैदिक पद्धति को पहुंचाना है।

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परिचय :- हिमानी भट्ट ब्रांड एंबेसडर स्वच्छता अभियान, इंदौर
निवासी : इंदौर म.प्र.


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