राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)
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गंगा की याद आते ही मन पूरी तरह उचट जाता था। सभी कुछ था मेरे पास। आज तक मैं जीवन में दौड़ ही रहा था। कभी डिग्री पाने के लिए, कभी नौकरी पाने के लिए। मैं तो अपने घर में ही खुश था। अपने गाँव में, अपने खेतों में, बाप-दादा की तरह। मैं भी खेती करना चाहता था। मुझें बचपन से ही खेत-खलिहान अपनी तरफ खीचते थे, लहलहाती फसलें, माटी की भीनी-भीनी सुगंध। ऐसा सादा जीवन ही मुझें पसन्द था। पर उसकी जिद के आगे मै नतमस्तक हो गया था। वही चाहती थी कि मै पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनू। जब भी पीछे मुड़कर उसका बलिदान देखता हूँ, परेशान हो उठता हूँ। हमेशा मेरे पीछे लगी रहती थीं। जब भी मै विदेश जाने की बात पर टाल मटोल करता। उसका प्यार भरा स्पर्श, अपनेपन का अहसास मुझें अन्दर तक सहला जाता। उसके इस प्यार भरे अहसास ने ही मुझें विदेश जाकर डॉक्टरी करने को मजबूर कर दिया था। उसी का प्यार था कि आज मैं एक जाना-माना डॉक्टर हूँ। चारों ओर मुझें मान-सम्मान मिल रहा है। फिर भी मेरे जीवन में एक सन्नाटा पसरा हुआ है। मेरे जीवन के इस खाली स्थान को कौन भरेगा? माँ जल्द ही मेरी शादी कर देना चाहती है। उन्हें कैसे अपने दिल की बात बताऊँ?मै लौट आना चाहता हूँ, अपने गाँव में, अपने खेतों में।
इस विदेशी चकाचौंध में मेरा मन नहीं लगता। मैं अपनी गंगा के पास लौट आना चाहता हूँ। दरवाजे की खटखट ने मुझें वर्तमान में लाकर खड़ा कर दिया। मैंने अपने सामने, चपरासी को एक पत्र लिए खड़ा पाया। उसने मेरे हाथ में पत्र थमा दिया। मैंने उदास मन से पत्र खोला। मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा। हमारे हॉस्पिटल की एक ब्रांच दिल्ली में खुल रही थी। मुझें इस ब्राँच की बागडोर सौपी जा रही थी। कुछ ही दिनों में मुझें घर जाने की परमिशन मिल गई थी। घर पहुँचते ही मेरा भव्य स्वागत किया गया। सारा गाँव मुझें मेरी सफलता पर बधाई दे रहा था। पर मेरी नज़रे तो सिर्फ गंगा को ढूंढ रही थी। मैं सबकुछ छोड़कर सीधा गंगा के पास चला गया। वह एक फोटो फ्रेम को सीने से लगाए मुझें ही देख रही थी। उसने फ्रेम मेरे हाथों में थमा दिया। फ्रेम के एक हिस्से में मेरी फ़ोटो थी, दूसरा हिस्सा खाली स्थान था। मैं उससे पूछना चाहता था कि यह खाली स्थान क्यों? उसकी आँखें नम हो उठी, जैसे कह रही हो ये खाली स्थान कब भरोगे? गंगा इस खाली स्थान में कब से तुम्हारी तस्वीर लगी है? उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। उसने मेरे मन के खाली स्थान को भर दिया था, अपने प्यार से।
परिचय : राकेश कुमार तगाला
निवासी : पानीपत (हरियाणा)
शिक्षा : बी ए ऑनर्स, एम ए (हिंदी, इतिहास)
साहित्यक उपलब्धि : कविता, लघुकथा, लेख, कहानी, क्षणिकाएँ, २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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