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शिक्षा का मन्दिर

रमेश चौधरी
पाली (राजस्थान)

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रुक कर भी में चलती रही
फिर से शिक्षा का मन्दिर बनूंगी।

जहा में ज्ञान दिया करती थी,
वहा में बेसहारों को साहारा देती रही।

रुक कर भी में चलती रही
फिर से शिक्षा का मन्दिर बनूंगी।

जो चावल में अपने लाडलो को ना खिला सकी,
वो मैने बेसाहरो को खिलाया है।

रुक कर भी में चलती रही
फिर से शिक्षा का मन्दिर बनूंगी।

जो शिक्षा के गुरु कहलाते थे,
वो कोरोना योद्धा बने
अपने लिए नहीं,
अपने देश वासियों के लिए।

रुक कर भी में चलती रही
फिर से शिक्षा का मन्दिर बनूंगी।

मैने अपना कर्तव्य छोड़ा,
इस कोरोना को हराने के लिए।
तुम भी अपना कर्तव्य निभाओ,
इस कोरोना को हराने के लिए।

रुक कर भी में चलती रही
फिर से शिक्षा का मन्दिर बनूंगी।

जहां मैं जंजीरों से बंधी हुई थी,
फिर भी में अपने लाडलो को
ऑनलाइन शिक्षा देती रही।

रुक कर भी में चलती रही
फिर से शिक्षा का मन्दिर बनूंगी।

जहां मैं देश के भावी
भविष्य का निर्माण करती थी,
वहा में कोरोना पीड़ितों का साहारा बनी।

परिचय :- रमेश चौधरी
निवासी : पाली (राजस्थान)
शिक्षा : बी.एड, एम.ए (इतिहास)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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