Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

ग्रहण…. मानते हैं

प्रीति शर्मा “असीम”
सोलन हिमाचल प्रदेश

********************

प्रकृति के,
प्राकृतिक चलन पर।
कितने विरोधाभास उठाते हैं।

ग्रह -नक्षत्रों को,
पढ़ने की बात करते हैं।
लेकिन ……….???
अपने से ही,
अनजान रह जाते हैं।

ग्रहण ….मानते हैं।
कितने अनिष्ट ग्रहों की,
सूची को गढ़ जाते हैं ।
लेकिन अपनी सोच पर,
अंधविश्वास के लगे,

ग्रहण का कोई हल नहीं पाते हैं।

ग्रहण ……मानते हैं।
भगवान….. मानते हैं।
सब अच्छा …करता है।

यह …….भी मानते हैं।

फिर …..बुरे पर,
तिलमिलाते हैं।
बुरा ….. क्या है।

अपनी सहूलियत के लिए,
क्यों ………हमारे,
संवाद बदल जाते हैं।

शायद…… हम,
भगवान को भी,
आधा ही मानते हैं।

अजीब ढोंग ओढ लेते हैं।
खुद प्रश्न देकर,
खुद उत्तर गढ़ लेते हैं।

जब सहूलियत का,
प्रश्न आता है।
हम बीच वाला,
रास्ता पकड़ लेते हैं।

जबकि ………हम सब,
अपनी सहूलियत से ही,
अपने फायदे के लिए,
ग्रहण करते हैं।

परिचय :- प्रीति शर्मा “असीम”
निवासी – सोलन हिमाचल प्रदेश


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *