Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पूरबा बयार से

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

********************

ग्रामो मे मेरे पूरबा बयार से
बसवारीयो की खूँटे टकराती है।
चरमर-चरमर की आवाजे
भैरवी की राग सुनाती है।

कराहती है गरीबी बेदर्द बन
झोपड़ियों में-
जहां दिन में सूर्य की रोशनी
रातें में चांदनी झांकती है
जहां दीपक के नाम पर चंद देर तक का ही सही
अचानक चांदनी टिमटिमाती है।

अंधकार की नीरवता में
पवित्र निश्चल हृदय पुचकारती है।
पावस की फुहार, में जहां दूधिया चांदनी में
मजबूरियों की हाहाकार में
नई विवाहिता बालाए सिकुड़कर नहलाती है।

गाती है उनकी माताए
ग्रामीण वृद्धाए खुशी की गीत ।
घुंंघट के नीचे निःसंकोच शर्माती है।
राजनीति से दूर, सुदूर पश्चिम मे
पेड़ो की टहनियों पर
बैठ कर चिड़िया चहकती है।

महकती है बागे जब आम् मंजर खिलती है।
गाँवो की पोखर मे कमल की फूल
भ्रमर की गुनगुनाहट सुन अचानक सहम जाती है।

.

परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *