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मुक्त प्रदूषण से धरती को

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
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नगर-नगर औ गांव गांव तक,
ये संदेशा पहुचाएं
मुक्त प्रदूषण से धरती को,
रख के जीवन सुख पाएं।।,

नदियां सबसे गंदी हैं तो,
उनकी करें सफाई हम।
गंदा जल होने से रोकें,
सबकी करें भलाई हम।।
उनके घाटों पर मेले फिर,
लगें करें वो काम सदा।
ना अस्थी ना राख बहाएं,
याद रखें अंजाम सदा।।
शुद्ध बनाकर सरिताओं के ,
कूलों को हम दिखलाएं।
मुक्त प्रदूषण से धरती को,
रख के जीवन सुख पाएं।।

अगर हवा गंदी होगी तो,
साँसों का संकट होगा।
पेड कटेंगे तो आबादी,
से ज्यादा मरघट होगा।।
ध्वनि प्रदूषण से बहरे हम,
हो जायेंगे यार सुनो।
अंधे बहरों के समाज में,
फैलेंगे परिवार सुनो।।
इससे पहले के डूबे सब,
बचा किनारे हम लाएं।
मुक्त प्रदूषण से धरती को,
रख के जीवन सुख पाएं।।

शुद्ध अगर मिट्टी होगी तो,
फल पे असर पड़ेगा ही।
चढ़ने वाला ताकतवर,
होगा तो शिखर चढ़ेगा ही।।
नींव अगर कमजोर रही तो,
मिट्टी में मिल जाना है।
समय पूर्व मिट्टी होना है,
अगर जहर ही खाना है।।
ऐसा कोई काम करें हम,
जीवन सब का मेहकाएं।
मुफ्त प्रदूषण से धरती को,
रख के जीवन सुख पाएं।।

पर्यावरण प्रदूषित होने,
देंगे नहीं विचारा है।
रक्षा हर प्राणी की करना,
हमने मन में धारा है।।
धरती पर पेड़ों के साये,
होंगे तो जन्नत होगी।
बादल बरखा लायेंगे तो,
घर-घर मे दौलत होगी।।
हम “अनन्त” दौलत चाहें तो,
जुल्म धरा पे ना ढाएं।
मुक्त प्रदूषण से धरती को,
रख के जीवन सुख पाएं।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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