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विछोह की पीड़ा

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रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर

पता नही किस शहर में,
किस गली तुम चली गई।
मै ढूँढ़ता रह गया,तुम छोड़ गई।
पता नही हम किस मोड़ पर
फिर कभी मिल पाएँगे।
इस अनूठी दुनिया में फिर
किस तरह से संभल पाएँगे।
पता नही तेरे बिन हम,
जी पाएँगे या मर जाएँगे।
हम बिछड़ गए उस दिन,जिस दिन
तुम मुझसे मिलने वाली थी
मै तुमसे मिलने वाला था।
इस अंधी दुनिया ने कभी
हमको समझा ही नही।
काश समझ पाती दुनिया,
तो हम कभी बिछड़ते ही नही।
प्यार करते थे हम तुमसे,
पर कभी कह ही न पाएँ।
आज भी सोचता हूँ की,
काश वो दिन वापस लौट आए।
बहुत समय लगा दिया हमने इजहार में।
कब तक भटकेंगे हम तेरे इन्तजार में।
हम बिछड़ गए थे उस दिन,जिस दिन,
तुम मुझसे मिलने वाली थी,
मै तुमसे मिलने मिलने वाला था।

परिचय :-
नाम- सौरभ कुमार ठाकुर
पिता – राम विनोद ठाकुर
माता – कामिनी देवी
पता – रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार)
पेशा – १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक
जन्मदिन – १७ मार्च २००५
देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत रत्न,साहित्य रत्न,स्टार हिंदी बेस्ट राइटर अवार्ड – २०१९ इत्यादी । 

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