अंजना झा
फरीदाबाद हरियाणा
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सपनों से घिरी है हमारी जिंदगी
औ जिंदगी के हर पड़ाव पे सपने
रहते हैं उलझे हुए हमसब ताउम्र
ख्वाब में इन्हें पूर्ण करने के सपने।
कुछ पूरे होते कुछ रह जाते अधुरे
हमारे ही विचारों से बुने हुए सपने
कभी धागे में पिरो ओढ़ लेते सपने
कभी जालियों में उलझे रहते सपने।
कुछ आसमां को छू लेने के सपने
काल्पनिक उड़ान से ओतप्रोत हो
यथार्थ की धरातल को स्पर्श कर
सागर की गहराई मापने के सपने।
प्रेमातुर आलिंगनबद्ध होने के सपने
अलौकिक उर्जा से परिपूर्ण स्व को
कर्मपथ पर निर्बाध अग्रसित होकर
कर्मयोगी बनने के अर्थयुक्त ये सपने।
आध्यात्मिक दर्शन के पश्चात अंततः
बस आराधक बनकर श्री हरि को
अपनी स्तुति से मग्न होकर रिझाने
और उनमें समाहित होने के सपने।
मंदिर औ श्मशान के धूएं के रंग की
तासीर के अंतर को आत्मसात कर
अंततोगत्वा उस चरमोत्कर्षानंद के
ख्वाब में डूबने उतरने के ये सपने।
सच जीवन की इस निर्बाध गति में
घिरे ही रह जाते हैं हम जीवन भर
ख्वाब में हर पल खुद के जालों से
बुने हुए हमारे सारे निर्विकार सपने।
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परिचय :- अंजना झा
माता : श्रीमती फूल झा
पिता : डाक्टर बद्री नारायण झा
जन्म तिथि : ६ अगस्त १९६९
जन्म स्थान : पटना
अंजना झा मूलतः बिहार की निवासी हैं। आपने मनोविज्ञान में एम.ए. किया है। पूर्व में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका रही हैं। आप कुछ समय आनलाइन पत्रिका साहित्य लाइव में संपादिका पद पर भी रह चुकी हैं। आपकी रुचि लघुकथा और काव्य लेखन में है। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं।
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