Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सपने

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उ.प्र.)

********************

बिखरी हैं ज़मीन पर यादों की सारी कतरनें,
कुछ ख्वाब रखे थे जाने कहाँ गुम हो गये।
तिनका तिनका समेटते रहे इस जहाँ से हम,
सपनों के वो खजाने अब कहाँ गुम हो गये।

बीते कल में खुद को ढूंढता अपना वज़ूद
इस अंधाधुंध भीड़ में कहीं गुम हो गया है।
जब तब तनहाई के साये चीखते हैं मुझ पे
एक परछाईं सिसकती है बेजुबान सी
ढूंढते रह जाते हैं भीड़ में हम भी चेहरे
काश कुछ चेहरे अपनापन तो जतलाते।
सब सोचता समझता रहा है वज़ूद
ये कल भी था और आज भी है।

मगर ये हकीकत तो सबको पता है
हंसी में भी छिपे रोग छल जाते हैं।
यहाँ रोज ही अपने सपने बिखरते,
इस जहाँ से चलो हम निकल जाते हैं।

.

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए.,एम.फिल – समाजशास्त्र,पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उ.प्र.)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *