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सपनों का घर

कीर्ति सिंह गौड़
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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ख़ूबसूरत ख़्वाबों की तरह
वो अपना घर बसाना चाहती है
वो अपने घर को
ख़ुशियों से भर देना चाहती है
हाँ वो अपना घर सजाना चाहती है।

घर के प्रवेश द्वार पर हों गणपति,
कोने-कोने को वो रोशनी से
जगमगाना चाहती है।
हाँ वो अपना घर सजाना चाहती है।

रसोई में उसकी पसंद के बर्तन हों,
खिड़की दरवाज़ों पर
उसकी ही पसंद के कर्टन हों
सिर्फ़ इतना ही तो वो चाहती है
हाँ वो अपना घर सजाना चाहती है।

पलंग के सिरहाने एक लैम्प रखा हो
और पलंग पर पसंद का चादर बिछा हो
और क्या वो चाहती है।
हाँ वो अपना घर सजाना चाहती है।

टेबल पर रखी प्लेट को फूलों से भरकर
घर का कोना कोना महकाना चाहती है।
हाँ वो अपना घर सजाना चाहती है।

दीवारें अपनों की तस्वीरों से सजी हो
उदासियों का नमोनिशां नहीं हो
उन तस्वीरों में ख़ुशियों के
रंग भरना चाहती है
हाँ वो अपना घर सजाना चाहती है।

परिचय :- कीर्ति सिंह गौड़
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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