डाॅ. हीरा इन्दौरी के दोहे
रचयिता : डाॅ. हीरा इन्दौरी
प्राईम मिनिस्टर होय वो ,
या भारत के प्यून ।
मिलती भ्रष्टाचार से ,
यहाँ सभी की ट्यून ।।
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धारा सत्तर तीन सौ ,
भूले मन्दिर राम ।
जब सत्ता ही मिल गई ,
तो इनसे क्या काम ।।
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सब दल सत्तासीन है ,
जनता ढोती भार ।
नेताजी करते यहाँ ,
कुर्सी का बेपार ।।
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चोरों का सरदार वो ,
बनता वो साहूकार
जनता भी यकीन करे ,
डूबा भारत यार ।।
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देश पङे जब आपदा ,
काल जलजला बाढ ।
नेता अफसर के घरों ,
लक्ष्मी छप्पर फाड़ ।।
संयासन मंत्री बनी ,
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खेला लव का खेल ।
दीवानी गोविन्द से ,
ना कर पाई मेल ।।
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मूँछ मरोङे जेल में ,
नेता अफसर दोइ ।
सिद्ध अदालत में करे ,
दाग हमारे कोई ।।
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बागी दागी सूरमा ,
चले चुनावी चाल ।
जो दे टिकट चुनाव का ,
वो घण्टा घङियाल ।।
परिचय :- नाम : डाॅ. “हीरा” इन्दौरी प्रचलित नाम डाॅ. राधेश्याम गोयल
जन्म दिनांक : २९ – ८ – १९४८
शिक्षा : आयुर्वेद स्नातक
साहित्य लेखन : सन १९७० से गीत, हास्य, व्यंग्य, गजल, दोहे लघु कथा, समाचार पत्रों मे स्वतंत्र लेखन तथा विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाओं का पचास वर्षों से प्रकाशन
अखिल भारतीय कविसम्मेलन, मुशायरों में शिरकत कर रचना पाठ, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर रचना पाठ विभिन्न साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित
विषेश : आध्यात्मवेत्ता विद्या ज्योतिष के ज्ञाता असंख्य कुण्डलियों का सफल फलादेश कर मार्गदर्शन दे चुके हैं तंत्र मंत्र में विशेष रूचि
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