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दहेज प्रताड़ना का दंश

विमल राव
भोपाल म.प्र

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एक नई नवेली दुल्हन को
कुछ लोगों ने क्या सिला दिया
बाबुल के अंगना से लाकर
पीहर में उसको “ज़ला” दिया

क्या होते हैं रिश्तें नाते
उन गददारो ने भुला दिया
कितनी तड़फी होगी बेहना
जब उसको जिन्दा ज़ला दिया

चीखी-चिल्लाई होगी वो
क्या पूरी बस्ती बेहरी थी
जब धुआँ उठा होगा घर में
दिन में भी, रात अँधेरी थी

कोई आ जाता, पानी लेकर
दरवाजा तोड़, बचा लेता
घरमें भी सब मौजूद रहे
कोई तो, आग भुजा देता

जिस पति पर विश्वास किया
उसने (अंजु ) को जला दिया
बेहना की बातो में आकर
पत्नी को क्या सिला दिया

उसकी हर एक चीख पिता के
मन को बहुत सताती हैं
जिस माँ ने उसको जनम दिया
उसकी छाती भर आती हैं

कितनी मेहनत से, पाला था
उस माँ ने अपनी, बेटी को
एक पल में उसने जला दिया
पापा की प्यारी बेटी को

ये काम कमीनो वाला हैं
कोई कुत्ता ही कर सकता हैं
द्रोपति का चीर हरण जग में
कोई दुस्साशन ही, कर सकता हैं

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परिचय :- विमल राव सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र.
निवासी : भोपाल म.प्र


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