Monday, November 11राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मत ढूढ़ना मुझको

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

********************

सुबह का सूरज हूँ मैं, रात के तारों में मत ढूढ़ना मुझको
मुस्कुराता ही मिलूँगा मैं, गम के मारों में मत ढूढ़ना मुझको।

मिल जाऊंगा किसी मंदिर मे होते भजन, कीर्तन के जैसे
यूँ सड़कों से गुजरते जुलूस के नारों में मत ढूढ़ना मुझको।

अपनी एक अलग ही दुनिया बसा रखी है सबसे दूर मैं ने
ढूढ़ना तो अपने दिल में, भीड़ हजारों में मत ढूढ़ना मुझको।

होंगे कोई और वो जो मर मिटते हैं तेरी हर एक अदा पर
अपने ऐसे बिगड़े, लफंगे, लुच्चे, यारों में मत ढूढ़ना मुझको।

खुश्बू बिखेरता फिरता है यह निर्मल जमाने में चहुंओर
जब भी ढूढ़ना गुलों में ढूढ़ना, खारों में मत ढूढ़ना मुझको।

इंसान हूँ सिर्फ इंसानियत की बात करता हूँ सदा से ही मैं
जातिवादी, ब्राम्हण, क्षत्रिय, डोम, चमारों में मत ढूढ़ना मुझको।

.

परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *