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करें योग रहें निरोग

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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जगत गुरु की पथ में हमने,
आगे कदम बढ़ाया है ।
योग को भारतवर्ष ही नहीं,
विश्व में पहचान दिलाया है ।।

जोड़ सकें तन मन आत्मा को,
योग वही कहलाता है ।
जुड़ जाये आपस में तो फिर,
भेद सभी का मिट जाता है ।।
योग सहज साधन है ध्यान की,
हमने साधना से यह पाया है
योग को भारतवर्ष ही नहीं …..

करता है जो योग हमेशा
निरोग वही रह पाता है ।
तन के सारे कष्टों से,
मुक्ति उसको मिल जाता है ।।
बात बड़ी सच्ची है यह,
इसको हमने अजमाया है
योग को भारतवर्ष ही नहीं …

तन हो स्वस्थ वचन हो मस्त ,
यूं ही निर्मल हो जायेगा ।
शारीरिक मनोविकार जैसे ,
ध्यान से ही भाग जायेगा ।।
नरक के जगह स्वर्ग बनाकर,
प्रेम का अलख जगाया है
योग को भारतवर्ष ही नहीं ….

सम्प्रदाय मजहब धर्मों से,
योग का ना कोई नाता है ।
सीमाओं में कोई बंधन नहीं ,
हर शख्स इसको निभाता है ।।
इसकी महिमा जान लिया जो,
वो गरिमा का गुण गाया है
योग को भारतवर्ष ही नहीं …

पहली सुख निरोगी काया ,
तभी तो दुनिया अपनाया है ।
जिन ऋषियों ने योग दिया है,
आदर्श हमने अपनाया है ।।
मोती मिला है उनको जिसने,
गोता जो इसमें लगाया है ।।
योग को भारतवर्ष ही नहीं …

आओ सब मनायें २१ जून को,
विश्व योग दिवस के नाम ।
इसको सफल बनायें मानव ,
कर लें आसन प्राणायाम ।।
श्रवण आज पुनीत तिथि को,
सबने मिल खास बनाया है

योग को भारतवर्ष ही नहीं,
विश्व में पहचान दिलाया है….

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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