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करते जो खुद पर विश्वास

सपना
दिल्ली

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करते जो खुद पर विश्वास
रचते वे  ही नया इतिहास…

बिना फल की इच्छा करे
कर्मों पे हो अटल विश्वास
धरती ही नहीं अंबर छू लेने का
जिनके मन में  बुलंद अहसास
रचते वे ही नया इतिहास…

छोड़ उम्मीद दूसरों से
रखते खुद पर अटल विश्वास
नहीं रुकते किसी के कहने पर
डराता नहीं उन्हें कोई उपहास
कर अपने पर विश्वास
राह में मिलें चाहे फूल
चाहे कांटे
बिना रुके बिना थके
लक्ष्य पथ पर
बस आगे ही बढ़ने की बात
रचते वे ही नया इतिहास…..

देख दूसरों को संकट में
सहारा जो उनका बनते
भूखा रहकर खुद
भूख दूसरों की मिटाते
खुद से पहले
देश की चिंता बताते
मातृ भूमि की रक्षा
करने को जो रहते
हर दम तत्पर ख़ास
रचते वे ही नया इतिहास….

लालच नहीं जिनके
मन में कुछ भी
झोपडी़ में रहकर भी
महल समान
सुख का जीवन बीताते
कर्मों पर कर विश्वास
जो अडिग रहे
उनका ही फैला प्रकाश
रचते वे ही नया इतिहास…।

परिचय :- सपना
पिता- बान गंगा नेगी
माता- लता कुमारी
शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी)
साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता तथा प्रपत्र वाचन एवं विभिन्न पत्रिकाओं/ संपादित पुस्तकों में विभिन्न विषयों पर शोधालेख प्रकाशित। साथ ही साहित्य सिनेमा सेतु वेबसाइट पर कुछ कविताओं का प्रकाशन।
निवासी- दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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