डॉ. बी.के. दीक्षित
इंदौर (म.प्र.)
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जहाँ करोना फैल रहा, क्षेत्र वहाँ का सील करो।
हटकर नई योजना हो…और नहीं अधीर करो।
खोल दुकानें दो सारी, दूरी ज़्यादा से ज्यादा हो
चालू हों उद्योग, कमसे कम आधा तो फ़ायदा हो।
चंद रईशो की संपत्ति से देश नहीं चल पायेगा।
बंद हुए व्यापार सभी, तोकैसे हल मिल पायेगा?
वेतन, बिजली, टैक्स आदि, बहुत ज़रूरी होते हैं।
कुछ लोग आपदा में भी तो बहुत गरूरी होते हैं।
खण्ड-खण्ड भागों में, अब कर्फ़्यू सख़्त लगा दो।
जहाँ न फैले कोरोना…..उस जगह छूट दिला दो।
मजदूरों से कहो की, वो सब कार्य करें कारखानों में।
घर नहीं जायें तीन महीने, रहें वो उन्हीं ठिकानों में।
दो मीटर की दूरी हो, अनुशासन कड़ा दिखाना है।
बीमारी भी दूर रहे, और मिलकर हाथ बटाना है।
जामाती की जेल बनाओ, नित्य पिटाई होती हो।
जो-जो अकड़ दिखाए उसकी खूब सुताई होती हो।
खुली छूट सेना को दे दो, सील इलाके घिर जायें।
जो भी डॉक्टर पर थूकें, वो बिना दवाई मर जाएं।
ट्रांसपोर्ट प्रारंभ करो, उधोग कृषि का कार्य चले।
जो ज़रा उठाये सर, वो उत्पाती भय से हाथ मले।
एन सी सी, आर एस एस, होमगार्ड द्वारा सेवा हो।
पत्थर बरसाने वालों के…….मुँह में और न मेवा हो।
ड्रेसकोड निर्धारित हो……..मास्क मुहैया हो जाये।
भगे कोरोना भारत से, और पार भी नैया हो जाये।
परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण की व् आप गत ३६ वर्ष से इंदौर में निवास कर रहे हैं आप मंचीय कवि, लेखक, अधिमान्य पत्रकार और संभावना क्लब के अध्यक्ष हैं, महाप्रबंधक मार्केटिंग सोमैया ग्रुप एवं अवध समाज साहित्यक संगठन के उपाध्यक्ष भी हैं।
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak।com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान
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