Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मन के दीप का धीर न खोना

विवेक रंजन ‘विवेक’
रीवा (म.प्र.)

********************

जब सूर्य का उगना क्षितिज से
नियति का वरदान है,
तो फिर भला क्यों हर सुबह
यूँ रात का आभास देती।
इन हवाओं में प्रवाहित
हो रहा है ज़हर कोई,
ज़िन्दगी की बाट जोहती
मौत दिखती पास बैठी।

मानते हैं आज शोषण है
कथानक ज़िन्दगी का,
पर जियेंगे पात्र क्या
अलसाई मुर्दा लेखनी से?
आदमी और आदमी के
बीच का अंतर बढ़ा है,
या कि साँसों का गणित
मुद्रा के आगे गौण है?

प्रश्नों का तो चक्रव्यूह है
लड़ना ही होगा जीवन में,
लड़ना होगा अपने मन से
झूठे सपनों के दरपन से।
समाधान की एक झलक
मिलती है सागर के तट पर,
जहाँ प्यार पाते हैं अजनबी
दुलराती है लहर लिपट कर।

यहाँ लहर ही जीतती है
और लहर ही हारती है,
कभी उछलती कभी मचलती
मन के मैल निगल जाती है।
लहरों की भाषा सीखकर
हम तूफानों से बात करेंगे,
अब तक जो भी घात सही
उन सबका प्रतिघात करेंगे।

सभी दुखी हैं देख देखकर
सत्य को प्रतिपल पिछड़ते,
हमें संवारने ही होंगे अब
अन्तर्मन के दीप मचलते।
जलना होगा यही सत्य है
अंधकार में दीप चुभोना,
जगमग हो जायेगी दुनिया
मन के दीप का धीर न खोना।
मन के दीप का धीर न खोना !!

.

परिचय : विवेक रंजन “विवेक”
जन्म –१६ मई १९६३ जबलपुर
शिक्षा- एम.एस-सी.रसायन शास्त्र
लेखन – १९७९ से अनवरत…. दैनिक समय तथा दैनिक जागरण में रचनायें प्रकाशित होती रही हैं। अभी हाल ही में इनका पहला उपन्यास “गुलमोहर की छाँव” प्रकाशित हुआ है।
सम्प्रति – सीमेंट क्वालिटी कंट्रोल कनसलटेंट के रूप में विभिन्न सीमेंट संस्थानों से समबद्ध हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *