नन्दलाल मणि त्रिपाठी
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
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जिंदगी में बीमारी कम नहीँ,
औकात बता देती है,
अच्छे खासे इंसान को
जिंदा लाश बना देती है।।कहूँ कैसे मैं बीमार हूँ
खासा नौजवान हूँ,
फिर भी हुश्न के
इश्क का शिकार हूँ
लगता नही मन कहीं भी
भूख प्यास अंजान हूँ।।माँ बाप को फिक्र ये
बीमारी क्या वैद्य
कहता है मैँ बीमार नही
इसका कोई इलाज नही
शर्म आती है बताऊँ कैसे
मुझे क्या हुआ मैं बीमार हूँ।।इश्क ने खोखला कर दिया,
सिर्फ चाहत का दीदार ही
इलाज है, नज़र इबादत
इश्क की आती ही नही
शायद वह भी बीमार बेजार है।।
अब तो जिंदगी की सांसे धड़कन
चाहत के इश्क का जुनून
जिंदगी का इंतज़ार है।।गर न मिली मेरी
बेबाक चाहत कि
मुहब्बत उसके ही दुपट्टे
ओढे कफन जनाजे बे
चढ़ने को बेकार हूँ।।
चढ़ गया है इश्क का शुरुर
इस कदर कहती दुनियां
इश्क का बुखार है।।ना संक्रमण है कोई,
ना बीमारी कोई
खतरनाक है,
कोरोना भी पास नही आता
जमाने की दहसत से इश्क़ के
कोरेनटाइन मास्क है।।क्या कहूँ की बीमारी क्या
कोई सुनने को तैयार नही
कहते है सभी प्यार मुहब्बत
की तेरी उम्र नही
तू तो नादान है।।कहती है दुनियां
लिखने पढ़ने में
लगता ही नही
मन आवारा भौरा
जिन्दगी का जिंदगी की
सच्चाई से अनजान है।।क्या करूँ, दिल तो दिल है,
बच्चा बूढ़ा जिस्म नही
चाहत की ना कोई उम्र
मुकर्रर दिल तो सच्चे
मुहब्बत का ईमान है।।इश्क का भूत नजर
नहीं आता दिखता
नही वर्तमान है भविष्य
का पता किसको जिंदगी
तो खुदा की खुदा ही
जिंदगी का राज है।।इश्क की बीमारी
अच्छी या बुरी पता
ही नहीँ मैं बीमार हूँ
इश्क से इश्क का
मिल जाना ही इलाज है।।
परिचय :- नन्दलाल मणि त्रिपाठी
साहित्यिक उप नाम : पीताम्बर
सम्प्रति : प्रचार्य
संस्थान : भारतीय जीवन बीमा निगम
जन्म स्थान : गोरखपुर
निवास : खोराबार जनपद- गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
भाषा ज्ञान : हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंग्ला
ज्ञान शैक्षिक स्तर : स्नातकोत्तर तक सभी बिषयों के अध्यापन क़ि योग्यता
समाजिक गतिविधि : १- युवा संवर्धन संरक्षण २- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ३- महिला सशक्तिककर्ण ४- विकलांग अक्षम लोंगो के लिये प्रभावी परिणाम परक सहयोग।
लेखन विधा : कविता, गीत, ग़ज़ल, उपन्यास, कहानी आदि।
प्रकाशितकृति : एहसास रिश्तों का प्रकाशित, शुभा का सच उपन्यास और शौर्य का शंखनाद प्रकाशन स्तर पर। पच्चीस साझा संकलन अध्ययन एव अतिरिक्त ज्ञान : आधुनिक ज्योतिष विज्ञानं
योग्यता : वक्ता एवं प्रेरक
सम्मान : दो अंतरराष्ट्रीय सम्मान, दो सौ राष्ट्रीय सम्मान बिभिन्न स्तरों पर विभिन्न संगठनों द्वारा।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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