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मृतक पिता और बेटे संग संवाद

बबली राठौर
पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.)

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मृतक- ये छूटी है
अब तो मोह माया।
हमने तिनका-तिनका
जोड़ घर है बनाया।
पर आज अब हम भए है वीराने
बरात खड़ी है
अपने लिए आँसू बहाने।
कल जोड़ा था जो
हमने था अब साथ नहीं मेरे।
बेटे अब है मेरी ये
धरोहर नाम तेरे।
काम ना आवेगी हमारी कीर्ती।
चाहे कितने थे मशहूर हम नामी।
अरे हाँ छूटा है
अब तो सबका साथ।
ना रखना अव कोई
गिला-शिकवा साथ।
मेरा आखिरी वक्त है
अब मेरा तुम्हारे साथ।
बस अब होगी मेरी
सीर्थ ही तुम्हारे साथ।
हम आज चले कि कल चले,
चले साँसें त्याग।
क्यों मृतक हो के हम
आज चलेंगे मेरे बाल
जलेंगे जैसे घास जले और
हाड़ जलेंगे जैसे लकड़ी जले ।
मेरा अब माटी होगा शरीर ये।
तुम भूल पल भर में जाओगे हमें।
मैं कितना दर्द सहूँगा।
क्या तुम्हें जलाने में मुझे
पल भर भी दया नहीं आएगी।

बेटा- पापा दुनियाँ का दस्तूर यही है।
जो मरा उसे जलाया गया
या फिर उसे दफ्नाया गया।
यही साहस और दस्तूर को
लेकर मैं भी चलूँगा।
तुम्हारे मृतक शरीर को
शान्त और तारुंगा।

मृतक- आज मैं जला
कल कोई और जलाया गया।
जिन्दगी में क्रम ये चलता है आया।
अब मुझे किसी से नहीं शिकायत कि
क्यों दुनियाँ से मेरा हक गया।

बेटा- जीवन देनेवाले तुम थे हमारे।
यादों में हमेशा आओगे तुम हमारे।
मृतक- जिन्दगी बहुत बड़ी है
धीरे-धीरे तुम हमें भूलने लगोगे।
जब तुम अपनी
जिम्मेदारियों से बंधोंगे

बेटा- पापा अभी तक मेरे
साथ तुम्हारा हाथ था।
विचलित हुआ मैं जब
भी तुम्हारा साथ था।
मृतक- मैं तुम्हारा अस्तित्व हूँ।
जब तक ये याद रहेगा तुम्हें।
कभी डगमगाओगे नहीं,
हमेशा मेरे पद चिन्ह
पथ दिखाएंगे तुम्हें।
बेटा- कोशिश यही रहेगी मेरी कि
आने वाला कल भी
तुम्हारा ही नाम ले।
लोग कहें कि बेटा है उनका
जो नाम जिंदा रखे है
उनकी अब तक की पीढ़ी ये।

मृतक- हमेशा फूलते, फलते रहो तुम,
जुग-जुग तुम जिओ।
अलविदा बेटे तुम्हारा घर
और तुम हमेशा आबाद रहो।

बेटा- आँखों में आँसू भर पापा को
जाते देखता रहा कि देखते-देखते
उनकी धड़कन कैसे बंद हो गईं
बैठे बीच और बोला पापा,
हमेशा प्रेरणादायक तुम
यादगार रहोगे हमारे बीच।

परिचय :- बबली राठौर
निवासी – पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र.
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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