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गुरुदेव की भक्ति

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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भक्ति मैं करता तेरे
साझ और सबेरे।
चरण पखारू तेरे
साझ और सबरे।
चरण पखारू तेरे
साझा और सबरे।
तेरे मंद-मंद दो नैन
मेरे मनको दे रहे चैन।
तेरे मंद-मंद दो नैन…।

क्या ज्ञान क्या अज्ञानी जन,
आते है निश दिन मंदिर में।
एक समान दृष्टि तेरी
पड़ती है उन सब जन पर।
पड़ती है दृष्टि तेरे उन सब पर।
तेरे कर्णना भर दो नैन
मेरे मनको दे रहे चैन।
तेरी कर्णना भरे दो नैन
मेरे मनको दे रहे चैन।।

त्याग तपस्या की
ऐसे सूरत हो।
चलते फिरते
तुम भगवान हो।
दर्शन जिसको
मिल जाये बस।
जीवन उनका धन्य होता।
जीवन उनका धन्य होता।
तेरा जिसको मिले आशीर्वाद।
उसका जीवन हो जाये कामयाब।
तेरा जिसको मिले आशीर्वाद।
उसका जीवन हो जाये कामयाब।।

ऐसे गुरुवर विद्यासागर के चरणों में
संजय करता उन्हें वंदन,
करता उन्हें शत शत वंदन।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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