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गंतव्य मेरा

शिवम यादव ”आशा”
ग्राम अन्तापुर (कानपुर)

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वो नहीं देख सकते हैं गंतव्य मेरा
बना देखकर मुझको हैवानी चेहरा
हमारे हुए न तुम्हारे क्या होंगे
यही आखिरी था सफ़र साथ मेरा

कल वो आप आज
हम जाएंगे सालों बाद

किसी की जिन्दगी चलाने से नहीं चलती
किसी की झोपड़ी जलाने से नहीं जलती
आसमान छूने का हौसला होता है
पंछियों के अन्दर
क्योंकि उड़ाने सिर्फ़ परों से नहीं होती

तुम्हें कोई नफ़रत के भावों से देखे
उसे प्रेम के गीत तुम अपने दे दो
बने प्रीत तेरी या मेरी बने वो
हर एक राह पर प्रेम की जीत लिख दो

अपने ही हर काम से ही वो खुश हैं
ये दुनियां क्या सोचे वो इससे से अलग हैं
पड़ी बात जब-जब है मुझको उठानी
मेरे साथ से वो अलग हो गए हैं

ये नफ़रत की बातें हैं मुझसे न होती
चलो आज मिलकरके बातें हैं होती
उन्हें क्या था समझा वो क्या हो गए हैं
मेरे नाम से उनको आफ़त सी होती

कभी दिल की ताकत को न आजमाना
खासकर टूटे दिल को नहीं आजमाना

ये वादे वादे वादे करने वाले बहुत देखे हैं हमने
मगर वादे निभाने वाले बहुत कम देखे हैं हमने

चलो आज दिल की एक बात कर लें
बिना प्यार की एक मुलाकात कर लें

मुझे अपनी भूमि पे अभिमान है ये
तुम्हें अपनी माता का पैगाम है ये
बनें चाहे सरहद या दीवार हों वो
मगर कोई दुश्मन का अधिकार न हो

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परिचय :-  आपका नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन”

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