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मौत के कारोबारी

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उ.प्र.)

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समाज में भरे हैं ये मौत के कारोबारी
आतंक का कफन ओढ़े हुए, सुदूर तक हर तरफ
गोली और बारूद से सजते हैं नित नए बाजार इनके
कौड़ियों के मोल बिक रही इंसानों की जिंदगी
अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो रहे।

इस आतंक” का ना कोई धर्म है ना कोई जाति,
ना ही है कोई भगवान या खुदा इनका,
ईमान की बातों से ना ही रहा इनका सरोकार।

घरों के चिराग बुझ गए इनकी हैवानियत से,
सिंदूर धुल गया हर ओर पानी से
सिसकियां भी दबी सी सुनाई देती हैं
तिनका तिनका पूछ रहा है ये सवाल….
ये इंसान हैं या मौत के कारोबारी ????

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए.,एम.फिल – समाजशास्त्र,पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उ.प्र.)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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