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रश्मियाँ भोर की

बबली राठौर
पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.)
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चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देने लगी है
सभी को साथ वो रश्मियाँ भोर की
लोगों की चहल-पहल दिखने लगी है
सड़क पर साथ चमकती ये रश्मियाँ भोर की

कार्य शुरू होने लगे घरों के और
जाने लगे दफ्तर, स्कूल को बच्चे सभी
जीवन संघर्ष होनें लगा दिन भर की
दिनचर्या लेकर साथ रश्मियाँ भोर की

ये तो राज गहरा है जिन्दगी में दिनकर,
आदित्य, रवि और इस धरती का सखि
उजाला देकर अंधकार भू-माता संग
लोगों की है हरती ये रश्मियाँ भोर की

अस्त भी होते हैं सूर्य देव शाम को
दूसरी भोर में उदय होने के लिए हे इंसा
ताकि संसारिक बुने सपने, उठ सकें
देखने को हँसती रश्मियाँ भोर की

चलती है जीवन की डोर कुदरती
सुंदरता से भी जो लुभाती है मन को
ओस की बूँदें पत्तियों पर पड़ी
खिलने लगतीं हैं देखकर रश्मियाँ भोर की

परिचय :- बबली राठौर
निवासी – पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र.
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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