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बेटियां होगी सुरक्षित

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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एक अख़बार में
निविदा विज्ञापन
दहेज़ के दानव के
विनाश हेतु चाहिए
एक बाण
ऐसी निविदा पढने के बाद
दिल को हुआ आराम।

पूर्व परिदृश्य में
बहुए उत्पीड़न का
शिकार होती थी
ऐसे हादसों के
कारण गावों के
कुएं की चरखियां,
घट्टीयों की आवाजें
ख़त्म होती थी।

अब बहुए
दहेज उत्पीड़न से
जली या जलाई जा रही है
ऐसे हादसों के कारण शहरों के
मोबाइल संदेश,
उत्पीड़न
रोकने की आवाजें
समाधान हेतु
पहुँच नही पा रही।

बाजारों में फ्रेमों के
और कब्र के पत्थरों के
दाम यकायक बढ़ते जा रहे
सूने घर और आँचल में
बच्चे छुपे कैसे
छुपा-छाई का खेल
वो भी खोते जा रहे
रिश्तों में कड़वाहट,
लालची युग का
विष घुलता जा रहा।

लगने लगा जैसे
दहेज़ के लालची
दानवों का दायरा
बढ़ता जा रहा
बढ़ते हुए दायरों को
न रोक पाने का
कारण यह भी हो सकता
कलयुग में बाण चलाना
किसी को आता नहीं
या लोग डरपोक बन
इधर उधर भागते जा रहे।

निविदा की तिथिया
बढती जा रही
अब संशोधनों के साथ
दहेज़ के दानवों के
विनाश हेतु चाहिए
अब तरकशो से भरे बाण।

इंतजार है,
कोई तो आएगा खरीदने
तभी ख़त्म हो सकेगी
दहेज़ के दानवों की विनाशलीला
और बेटियां होगी
हर घरों में सुरक्षित।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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