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बेटियां

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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अपने गांव का दिखे या ख़बर हो
खुश होती है बेटियां
बिदाई के समय रुलाती है बेटियां
मोबाइल बेटी का आता
पूरे घर को नजदीक कर देती बेटियां
भाई के रिजल्ट सुनकर
ससुराल में मिठाई बटवा देती बेटियां
घर आंगन के गुड्डे गुड़ियों को छोड़
बहुत दूर जा बसती बेटियाँ
घर मे बेटियों का टूटता खिलौना
डर होता आने पर डाँटेगी बेटियां
नन्ही चिड़िया सी उड़कर
ससुराल में बना लेती बसेरा बेटियां
त्यौहार पर नही आ पाने से
रिश्तो को रुला देती बेटियां
मोबाइल पर दुःख की बातें
कभी नही बताती बेटियां
मायके-ससुराल को तराजू के
पलवो में रिश्ते तोलती बेटियां
बेटियों से मिलकर आने पर
हिम्मत आजाती खुशियां नाच गा उठती
बातें सुनाती नए रिश्तों के घर आंगन को
ऐसी होती है प्यारी सी लाडली बेटियां
माता- पिता की ता उम्र फिक्र करती बेटियां
बेटी की याद आने पर आँसू छलकाती अंखिया

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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