डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर मालवा म.प्र.
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बेटी तीनो तीनों देव हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश।
बेटी धरती की धुरी, धारे रूपहि शेष।।
जय जय जय बेटी महरानी।
लछमी दुर्गा शारद जानी।।१
उल्लू सिंह है वाहन तेरे।
हंस सवारी विद्या मेरे।।२
सरस्वती बन विद्या देती।
लक्ष्मी बन भंडारे भरती।।३
अंजनि बन हनुमान पठाये।
जग में सबके काम बनाये।।४
वेद पुराण सदा जस गावे।।
ब्रह्मा विष्णु पार न पावे।।५
रिद्धि सिद्धि गणराज बखानी।
बेटी शक्ती रूप भवानी।।६
जब वह रणचंडी बन जाती।
दुर्गा बनके शस्त्र चलाती।।७
दुर्गावती झांसी की रानी।
इतिहासों ने कही कहानी।।८
बेटी गंगा बेटी जमना ।
बेटी रेवा कृष्णा सपना।।९
बेटी काली जग कल्याणी।
सीता उमा अरु ब्रह्माणी।१०
मंदोदरी कुंती अरु तारा।
अहिल्या द्रोपति है पंचारा।।११
बेटी करुणा बेटी माया।
सारे जग को पार लगाया।।१२
दुख तारा दमयंती रानी।
लीलावत ने सत्य बखानी।१३
धरती जैसी धीरज धरती।
जीवन सुख रंगों से भरती।१४
राधा रुक्मणि बेटी सीता ।
बेटी कथा कहे नित गीता।।१५
राखे धीरज अरु बलिदानी।
सहती दुखड़ा आंखों पानी।।१६
दुर्गा का जब रूप बनाया।
दुष्टों को तो मार भगाया।।१७
सावित्री अनुसुइया जानो।
शबरी अरुंधती पहचानो।।१८
भीमा रत्ना करमा बाई।।
देवी अहिल्या जग में छाई।१९
तीस बरस तक राज चलाया।
सकल प्रजा का कष्ट मिटाया।।२०
बेटी साहित रास रचाया।
जीवन का सब भाव दिखाया।२१
मीरा सहजो अरु महदेवी ।
अमृत प्रीतम सुभद्रा सेवी।।२२
सभी राज में बेटी जानो।
सात द्वीप में भी पहचानो।२३
पन्नाधाय पूत कुरबानी।
ममता छोड़ देश की सानी।२४
कस्तूरा जीजा को जानी
विद्योतमकी अकथ कहानी।।२५
टेरेसा माता पद पाई।
निवेदिता भगनी कहलाई।।२६
लता हेम व किरण को जानो।
पीटी ऊषा खेल बखानो।।२७
मल्लेश्वरी साइन गीता।
मेरीकाॅम ओलंपिक जीता।२८
प्रतिभाललिताइंदिरा विजया।
बेटी सरोज सबजग भजया।२९
बेटी सोना सुषमा माया।
ममता शीला राज चलाया।।३०
बेटी पद्मिनी जोहर कीना।
आबरु कारण प्राणन दीना।।३१
बेटी थामस अग्नि बनाई।
सुनिता विलियम यान चलई।।३२
बेटी सुख तज दुख में जीती।
रूखा खाकर पानी पीती।।३३
दहेज दानव जग में छाया।
बेटी का सम्मान गिराया।।३४
पापी पेटू धन के लोभी।
भूखे भेड़ी बनते रोगी।।३५
बेटी तो अब यान चलाती।
सेना में भी धाक जमाती।।३६
मेरिट में भी बेटी आती।
भैया को भी सीख सिखाती।।३७
मात पिता को कांधा देती।
दुख सुख में साथ निभाती।।३८
राजनीति में बेटी आई।
हक के हेतू करे लड़ाई।।३९
बेटी अग्नी बेटी पानी।
बेटी की है अकथ कहानी।।४०
बेटी गीता रमायण, बेटी वेद पुराण।
सब ग्रंथों का सार है, कहत है कवि मसान।।
परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
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