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बेटी

संतोष गौरहरी साहू
डोंबिवली पूर्व मुंबई (महाराष्ट्र)

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क्या हुआ बेटा नहीं
बेटी भी नाम कमायेगी,
आएगी जब आंच देश पर
वो भी मर मिट जाएगी.
रण में लड़ने वाली झाँसी की
रानी वो कहलायेगी !
एक मौका दो बेटी को
वो सबसे आगे आएगी
इस जग में नाम कमायेगी !

रौशन करता बेटा जग को,
तो बेटी भी क्या कम है !
बेटी हुई बेटा नहीं, तो
फिर किस बात का गम है,
बेटी नहीं सृष्टि में, तो
सृष्टि यूं ही सिमट जाएगी.
एक मौका दो बेटी को वो
सबसे आगे आएगी
इस जग में नाम कमायेगी !

बेटा बेटी थे घर में दो,
बेटे को पढ़ना लिखना सिखा दीया,
क्या गल्ती थी बेटी की,
जो उसे पढ़ने से मना किया,
बेटे की हर जिद को,
मम्मी पापा ने है पुरा किया !
पर उस बेटी ने है आज
बेटे को भी हरा दिया !
अपने आत्म सम्मान के लिए
वह कुछ भी कर जाएगी,
एक मौका दो बेटी को वो
सबसे आगे आएगी,
इस जग में नाम कमायेगी !

बिन बेटी के संसार में
मुश्किल है जीवित रहना
एक मौका तो बेटी को
यह उसका भी है कहना
रिश्ता नहीं कोई भी पर वह
सबका साथ निभाएगी
एक मौका दो बेटी को वो
सबसे आगे आएगी
इस जग में नाम कमायेगी !

बेटी है मां, दोस्त किसी की,
तो है वो किसी की बहना
सृष्टि की ईश रचना में,
वो है एक अनमोल गहना !
घर के सारे काम वो करती,
सुनती है सबका कहना

बेटे की हर एक चाह मैं है
मम्मी पापा की हां,
पर बेटी की उसी चाह को
कर देते वो ना,
बेटा-बेटा करके सबने
बेटी को है भुला दिया,
सृष्टि की रचना कर उसने,
हम पर है एहसान किया !
इस एहसान का फ़र्ज़ हम
कभी नहीं भुला पायेंगे !
पर एक मौका दे बेटी को
हम कर्ज मुक्त हो जाएंगे।

परिचय –   संतोष गौरहरी साहू
निवासी : डोंबिवली पूर्व, मुंबई (महाराष्ट्र)
शिक्षा : एमएससी, बीएससी
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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