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बेटी

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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रिश्तों की हरियाली बेटी,
जग में सबसे न्यारी बेटी।

उन्मुक्त गगन में पंछी जैसी,
निच्छल, अविरल नदियाँ सी
लाखों स्वप्न हिय में भरकर
परी लोक की परियों जैसी।
सुंदर मन, कोमल तन से जो
लगे गुलों में फूल सी बेटी।
रिश्तों की हरियाली बेटी,
जग में सबसे न्यारी बेटी।

घोर तम में दीपशिखा जैसी
जीवन समर ने अमृत वर्षा सी
प्राणों में स्पंदन को भरकर
कानन में टेसू के जैसी
नाजुक है कमजोर नही जो
लगे नूर में मेरी हूर सी बेटी।
रिश्तों की हरियाली बेटी,
जग में सबसे न्यारी बेटी।

प्रचंड शीत में सूर्योदय जैसी,
उष्ण बयार में शीत फुहार सी।
दो कुलों की मर्यादा सहेजकर
परिवारों की मनुहार जैसी
उदासी में मुस्कान भरे जो
लगे ईश्वर का उपहार सी बेटी।
रिश्तों की हरियाली बेटी,
जग में सबसे न्यारी बेटी।

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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