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हर तरफ अंधेरा

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शाहरुख मोईन
अररिया बिहार

हर तरफ अंधेरा नफरतों का उजाला है,
इन्हीं ठोकरों ने मुझको हमेशा संभाला है।

कसीदे कैसे लिखते हम उनके खातिर,
अब ऐसे लोगों क तो अंदाज निराला है।

अब नफरतों के बीज बिखेरे जा रहे है,
ऐसे सांपों को जो हम सबने पाला है।

दिल में दगा और जुबां है शीरी उसकी,
जालिम का हुकूमत में अब बोलबाला है।

पहन के लिवास सफेद वो मसीहा बने है,
मन मैला तो दिल उसका बड़ा काला है।

गरीबों की बस्ती में बेरोजगारों की कतारें,
मयस्सर नहीं अब भुखो को निवाला है।

दुनियां के सितम से इस कद्र टूटा शाहरुख,
बालिद की दुआ मां के हौसलों ने संभाला है।

लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार

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