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घड़ियाली आंसू

बिपिन कुमार चौधरी
कटिहार, (बिहार)
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चारों तरफ मौत कर रहा तांडव,
संकट में जिंदगी, संकट में मानव,
दिल व्यथित, विलाप कर रहा है,
ना जाने किस गलती का पश्चाताप कर रहा है,

अपने अपनों से मिल नहीं पा रहे,
अपनों का शव घर भी नहीं ला रहे,
सारी उन्नति हमें मुंह चिढ़ा रहा है,
प्रकृति हमें हमारी हैसियत बता रहा है,

कितने हुए तबाह, कितने आंसू बहा रहे,
फिर भी कुछ लोग सियासती अहम दिखा रहे,
इंसानिय मौन, नैतिकता शरमा रहा है,
मौत अपना विभत्स रूप दिखा रहा है,

यह सबक कठोर, सीख है बड़ी,
हम मौत से लड़ रहे, उन्हें कुर्सी की पड़ी,
इंसान अपनी मूर्खतापूर्ण तरक्की की सजा पा रहा है,
इन लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आंसू बहा रहा है

परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक)
निवासी : कटिहार, बिहार
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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