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वतन की खुशबू

विजय पाण्डेय
महूँ जिला इंदौर

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मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो ज़मी के कण से आती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो पहचान हमें दिलाती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो अमन शान्ति में रहती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो मेरे रक्त कणों में बहती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो नदियों को माँ कहती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो मेरे धर्म ग्रंथ में रहती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो खेतों के फसल में रहती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो धूप बदन पर सहती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो मेरे संस्कार में बसती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो हर दुख सहकर भी हँसती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो सरहद की हिफाज़त करती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो दुश्मन को ललकारे भरती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो गद्दारों को सबक सिखाती हैं।

मुझें प्यारी हैं वो खुशबू,
जो नित्त बन्दे मातरम गाती हैं।

परिचय :– विजय पाण्डेय
जन्म तारीख : १६/०६/१९८४
जन्म स्थान : बाणसागर शहडोल
शिक्षा : बी.ए
व्यवसाय : नौकरी लयुगांग इंडिया पीथमपुर
वर्तमान निवास : महूँ जिला इंदौर


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