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देश राग

श्रीमती लिली संजय डावर
इंदौर (म .प्र.)

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तेरी मिट्टी में मिल जावां,
गुल बनके मैं खिल जावां..
इतनी सी है दिल की आरज़ू…. ..
दीदी आज तो आपने सबको भावुक कर दिया, आप कितना मीठा गाती हो, प्रीति का गाना पूरा होते ही पास में खड़े बिट्टू ने प्रीति से कहा और सभी ने अपने अपने घरों से तालियां बजायीं।
प्रीति कॉलेज में प्रोफेसर है, गरीब बस्तियों के बच्चों की शिक्षा पर भी काम करती है साथ ही अच्छी गायिका भी है।
लॉक डाउन के दौरान आसपास वालों की फरमाइश पर वो रोज शाम को अपने घर के सामने ट्रैक पर माइक और स्पीकर लगाकर सभी को गाने सुनाती है। आज जब उसने ये गीत गाया तो सभी लोग देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत होकर भावुक हो गए। गाते गाते प्रीति की आंखें भी भीग गयीं, दीदी मुझे भी गाना सीखना है, आप मुझे सिखाओगी, बिट्टू ने माइक और स्पीकर उठाते हुए पूछा, हाँ हाँ बिट्टू क्यों नहीं? जरूर, प्रीति ने आंखें पोंछकर बिट्टू की मदद करते हुए उत्तर दिया। बिट्टू कॉलेज स्टूडेंट है, पास की मल्टी में रहता है और प्रीति के साथ समाज सेवा के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है, बस्ती के बच्चों को निःशुल्क पढ़ाना, उनके स्वास्थ्य, पोषण संबंधी कार्यों के साथ-साथ इन लॉक डाउन के दिनों में भी वो प्रीति के साथ पूरे समर्पण से जरूरतमंदों की भोजन, दवाई राशन आदि की सेवा, लॉक डाउन का पालन करने, घर मे ही रहने आदि समझाइश देते हुए जागरूकता के कार्यों में लगा हुआ है। बिट्टू प्रीति के साथ अंदर आ गया, सभी सामान जगह पर रखकर प्रीति बोली बिट्टू मैं चाय बनाती हूँ तुम बैठो, बिट्टू ने जवाब नही देते हुए टेबल पर रखे हारमोनियम की ओर देखकर कहा, दीदी क्या मैं इसे हाथ लगाकर देख लूँ, हाँ बिट्टू सिर्फ हाथ ही नही लगाओ बल्कि मैं आज तुम्हें सा लगाना सिखाती हूँ तुम प्रैक्टिस करना, मैं तब तक चाय बनाकर लाती हूँ। हाँ दीदी बिट्टू ने खुश होकर हारमोनियम खोलते हुए कहा, इस पर ऐसे अंगुली रखो और ऐसे धम्मन चलाओ, अब बोलो साsssss….प्रीति ने बिट्टू को सिखाया और चाय बनाने चली गयी। साssss…बिट्टू हारमोनियम पर सा लगाने की कोशिश कर रहा था, नहीं ऐसे नही, मैं फिर से बताती हूँ पहले चाय पी लो, प्रीति ने आकर चाय का कप बिट्टू के हाथ में देते हुए कहा। दीदी मेरे गले से तो बहुत भद्दी आवाज़ निकल रही है। दीदी मैंने एक बार स्कूल में भी गाना गाने की कोशिश की थी म्यूज़िक टीचर ने मुझे संगीत कक्ष से बाहर करते हुए कहा था कि ये संगीत की राग, रागिनी गाना तुम्हारे बस का नही, और सभी दोस्तों ने मेरा बहुत मज़ाक भी उड़ाया था। चाय बीच मे छोड़कर बिट्टू लगातार रुआसां होकर बोलता चला जा रहा था फिर अचानक कुछ सोचकर उसने हारमोनियम बंद किया, बची हुई ठंडी चाय पीने लगा तो प्रीति ने बीच में उससे कप लेते हुए कहा नही बिट्टू मैं फिर से चाय बनाकर लाती हूँ। बिट्टू भी प्रीति के पीछे पीछे अंदर आकर किचन में खड़ा हो गया, चाय के साथ साथ बिट्टू के मन में भी विचारों का उबाल आ रहा था, वो निराशा जनक भाव से प्रीति से बोला, दीदी क्या मैं जीवन में कभी भी संगीत नहीं सीख पाऊंगा ? कोई राग नहीं गा सकूंगा, क्या राग को गाना वास्तव मे बहुत कठिन होता है ? बताईये ना दीदी, बिट्टू ने जिद करते हुए प्रीति से पूछा, पहले यहाँ आकर बैठो और ये चाय पीते हुए मेरी बात ध्यान से सुनो, गर्म चाय की प्याली बिट्टू को देती हुई प्रीति सोफे पर आकर बैठ गयी, बोली देखो बिट्टू, पहले तो जिसने भी तुम्हारा अपमान किया, मज़ाक उड़ाया उसे भूल जाओ, और रही बात कि तुम कोई राग नही गा सकते तो आज से मेरी ये बात याद रखना की तुम बहुत अच्छे से राग गा सकते हो, तुम्हारे लिए राग गाना बिल्कुल कठिन नही है, क्यों की सिर्फ गले से, हारमोनियम पर या किसी और संगीत के इंस्ट्रूमेंट्स से ही राग नही गाया जाता, इन रागों को गाने के और भी तरीके होते हैं… कौन से तरीके दीदी बिट्टू ने चाय का खाली कप टेबल पर रखते हुए पूछा। सेवा, समर्पण, देश भक्ति के जज्बे आदि से भी राग गाए जातें हैं।
एक राग होता है… देश राग, हाँ… देश राग
और इस राग के तुम माहिर फनकार हो। अगर इसी तरह तुम इस राग को गाते रहे, तो जल्दी ही पूरे देश के नामी फनकार बनोगे। बिट्टू के चेहरे पर निराशा का स्थान आत्मविश्वास की मुस्कान ने ले लिया था। अच्छा दीदी अब मैं चलता हूँ, कहकर बिट्टू चला गया, दूसरे दिन फिर से देश राग गाकर गुंजन करने…

परिचय : श्रीमती लिली संजय डावर
सम्प्रति : प्राचार्य शा. हाई स्कूल पेडमी तह. जिला इंदौर
उपलब्धियां व लेखन : विभिन्न शैक्षिक एवं साहित्यिक मंचों से विचार अभिव्यक्ति, संचालन, स्वरचित सरस्वती वंदना, देशभक्तिगीत, विभिन्न विषयों पर कविता, कहानी लेखन।
अन्य : विगत १५ वर्षों तक आकाशवाणी के विभिन्न कार्यक्रमों, वार्ता, सामयिक विषयों पर परिचर्चा, शिक्षा में परीक्षा की तैयारी कैसे करें आदि में सहभागिता।


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