
डॉ. ओम प्रकाश चौधरी
वाराणसी, काशी
************************
भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में शुमार हैं, इसके मूल्य और विश्वास, सत्य, अहिंसा, त्याग सम्पूर्ण विश्व को आलोकित करते हैं। जन-जन से परिवार, परिवारों से समाज, समाजों से राष्ट्र का निर्माण होता है। अपने देश भारत का निर्माण इसी संकल्पना पर आधारित है। शाश्वत मूल्य, ‘अनुव्रत:पितुः पुत्रः’ (पुत्र पिता का अनुवर्ती हो) अर्थात निर्धारित कर्तव्य का समुचित रूप से पालन करने वाला हो। ‘सं गच्छध्वं सं वद्ध्वम’ से भारतीय संस्कृति अनुप्राणित है। हमारे यहां कहा गया है कि मनुष्य दूसरों का अध्ययन न कर स्वयं के अध्ययन में समय व्यतीत करे, हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में विचार करे। इस वैश्विक परिदृश्य में कोविड-१९ को हमें सम्मिलित प्रयास से ही अपने इन्हीं प्राचीन शाश्वत मूल्यों का अनुसरण कर हराना है। कोरोना चीन में वुहान से शुरू होकर इस समय विश्व के २०७ से भी अधिक देशों में फैल चुका है व ५३ लाख से भी अधिक आबादी को प्रभावित किया है। मृतकों की संख्या सवा तीन लाख से भी अधिक हो गयी है। भारत वर्ष मे भी तेजी से बढ़ रहा है लाखों से ऊपर लोग संक्रमित हो चुके हैं और साढ़े तीन हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गवां बैठे हैं। अब तक इसका ज्यादा प्रसार शहरों तक सीमित था, किन्तु महानगरों से श्रमिकों के अपने गांव, कस्बों में पहुंच जाने से अब यह चारों तरफ बढ़ रहा है।आज लॉक डाउन-४ (१८ मई से ३१ मई, २०२० तक) के अतिरिक्त कोई विकल्प दिखाई नही पड़ रहा है। परन्तु लॉक डाउन के कारण हमारा रहन-सहन, खान-पान, व्यवहार, पारिवारिक जीवन, सामाजिक-आर्थिक, मानसिक, आध्यात्मिक, धार्मिक स्थिति। परिवर्तित हुई है। हम इस महामारी की जद में कब और कैसे आ जाएंगे पता नहीं है। हर शख्स सहमा हुआ है एक अज्ञात भय के कारण उसका मन -मस्तिष्क प्रभावित है। लेकिन इसी भय और निराशा से ही आशा और विश्वास की किरण भी फूटती है, अतएव हमे आत्मबल और उम्मीद को कायम रखना है, अपने धैर्य व साहस को बनाये रखना है। यह हम पर निर्भर है कि हम किसी घटना या परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण कैसे करते है, चीजों को देखने का हमारा नजरिया कैसा है? लॉक डाउन – ४ ने चिंता और दुश्वारियों को बढ़ा दिया है। किसी को कोरोना की गिरफ्त में आ जाने का डर तो किसी को अपनी रोजी-रोटी की चिंता, प्रवासी श्रमिक हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके, या किसी साधन से अपने घर-गांव पहुंच रहे हैं, रास्ते में बहुत सी कठिनाइयों को झेलते हुए अपने माटी को, जिसे वे अपना देश कहते हैं (महानगरों में, जहां काम करते हैं, उसे परदेश) पहुंच सके हैं, उस यात्रा ने इन्हें अंदर से झकझोर दिया है, क्योंकि रोजी अलग छिनी और परेशानी अलग, यहाँ बेरोजगारी की चिंता ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर दिया है, आर्थिक परेशानी का सामना पहले ही कर रहे हैं। कितने कालकवलित हो गए, औरंगाबाद की रेल पटरी हो, गुना में बस की टक्कर, ओरैया में ट्रक, मुजफ्फरनगर में बस की चपेट में आ जाने से, कोई भूख-प्यास से दम तोड़ दे रहा है।अपने वतन पहुंचने की लालसा इतनी प्रबल है कि पिता बेटे को बैल के साथ बैलगाड़ी में हाँक दे रहा है, कोई बहँगी बनाकर अपने बच्चों को लेकर चल दिया है, रिक्शे में अपनी पत्नी व बच्चे को बिठाकर हजार किलोमीटर से भी अधिक की यात्रा पर निकल पड़ा है, कोई जुगाड़ से पटरे की चौपहिया गाड़ी बनाकर अपनी गर्भवती पत्नी को बिठाकर गंतव्य को अपनी संतति की रक्षा के लिए घिसटता जा रहा है, मां के साथ छोटे-छोटे बच्चे पैर में छालों के साथ ज्येष्ठ की तपती दोपहरी में चले जा रहे है। जननी राह चलते बच्चे को जन्म देती है और मात्र २ घंटे के विश्राम के पश्चात पुनः लगभग १५० किलोमीटर चलने के उपरांत किसी सज्जन ने बच्ची को वस्त्र व उस दंपति को भोजन कराया। ऐसा मंजर कभी नहीं देखने को मिला, १९४७ में बँटवारे में ज्यादातर स्वेच्छा से अपने वतन को चुने, लेकिन यह भागमभाग मजबूरी को बयां कर रही थी, उस शहर की दुत्कार की पीड़ा थी जिसकी अट्टालिकाओं को, सड़कों को इन कामगारों ने अपने पसीने से सींचा था, अब घर वापसी में जान कुर्बान कर दे रहे हैं। श्रमिकों की यह बेबसी एक लम्बे समय तक हमारे अंतस को झकझोरती रहेगी, असुरक्षा की भावना बनी रहेगी। उनके रोजी-रोटी और बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य का क्या होगा ?कोरोना के डर और भय से सहमा हुआ व्यक्ति अपनी हिम्मत के भरोसे इस महामारी से लड़ने को तैयार बैठा है। सोशल मीडिया पर आ रही तरह-तरह की खबरें, कुछ सही, अधिकांश अफवाहें या मनगढंत, मन को डिगा देती हैं, आशंका को जन्म दे देती हैं। ऐसे में मन मे डर का उत्पन्न हो जाना मानव की सर्वाधिक स्वाभाविक प्रकृति है, लेकिन यह प्रायः आधारहीन होती है, जो समय के साथ खुद ही समाप्त हो जाती हैं। इसलिए हमें सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ इस महामारी का मुकाबला पूरी मजबूती के साथ करना चाहिए। जिस व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होता है वह भयमुक्त होता है और दूसरों के मनोबल को भी बढ़ाता है। मानसिक रूप से मजबूत बने रहने में हमारी सहायता करता है। नकारात्मक विचारों से दूर रहते हुए अपने मनोबल व आत्मविश्वास को बनाये रखना है, ताकि इस महामारी से हम सक्षम तरीके से मुकाबला कर सकें।
देशवासियों ने यशस्वी प्रधानमंत्री की अपील पर कोरोना योद्धाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने व इस महामारी से सामूहिक रूप से लड़ने का एलान अपने घरों से शंखनाद करके ५ अप्रैल को लॉक डाउन-१ में ही कर दिया था। इस महामारी की स्थिति में भी हम हिम्मत और साहस से कोरोना का मुकाबला कर रहे हैं तो सिर्फ सरकारी सेवाओं के भरोसे, कुछ एन जी ओ व व्यक्तिगत रूप से लोग सराहनीय सहयोग कर रहे हैं। इस समय सरकार वो चाहे केंद्र की हो या प्रदेश की जिस तरह से अचानक आ पड़ी इस भयंकर त्रासदी से निपटने की योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है वह प्रशंसनीय है। हमारे डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी, लैब तकनीशियन, स्वच्छता कर्मी, पुलिस बल, अध्यापक गण, प्रशासनिक अधिकारी, मीडिया के लोग लगातार बिना रुके, बिना थके इस विपदा की घड़ी में पीड़ित मानवता की सेवा कर रहे हैं, निःसंदेह वह सराहनीय व अनुकरणीय है। व्यक्तियों की व्यापक सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर आ पड़ी है। हम नागरिकों का कर्तव्य है कि सरकार व आधिकारिक अधिकारियों द्वारा निर्गत निर्देशों व आदेशों का पालन करते हुए इनका उत्साहवर्धन करते रहें, सम्मान करते हुए हर प्रकार से सहयोग करते हुए स्वयं सुरक्षित रहें और दूसरों को भी रहने दें। स्वच्छता के साथ दैहिक दूरी बनाकर रहें।
माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी ने प्रथम, दूसरे, तीसरे और अब चौथे लॉक डाउन की घोषणा एक के बाद एक कि की और बड़ी ही विनम्रता के साथ उसके अनुपालन की अपील की। दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा यहाँ जनता – जनार्दन का भरपूर सहयोग भी सरकार को मिल रहा है। दुनिया के अन्य किसी भी देश में इतना सहज, सफल और सहयोगपूर्ण बन्द देखने में नही आया। इस बीच केंद्र और समस्त प्रदेश सरकारों ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में कोविड-१९ के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा व्यवस्था भी काफी सुदृढ़ कर लिया है, जांच केंद्र, वेंटीलेटर, पी पी ई किट आदि का पर्याप्त प्रबंध कर लिया है। फिर भी यह महामारी अभी बढ़ती ही जा रही है। कहा नही जा सकता कब इसका अंत होगा।
कोविड-१९ ने लगभग सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया है, कोई देश अछूता नही है, हाँ इतना अवश्य है कि कहीं प्रभाव ज्यादा तो कहीं कम है। सामाजिक और आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है। अपना देश जो विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, समुदायों का अद्भुत संगम है।सामाजिक ताना-बाना बहुत ही मजबूत और अनूठा है, लेकिन कहीं न कहीं इसमें टूटन हुई है, इसका दूरगामी प्रभाव होगा।
हमें शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में मजबूत होना पड़ेगा, कोरोना को बेशक हलके में न लें किन्तु दहशत भी न फैलाएं। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर शारीरिक रूप से और योगासन, प्राणायाम से मानसिक क्षमता को बढ़ाकर स्वस्थ रह सकते हैं। कभी परेशानी महसूस हो तो परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों व समाज के साथ जरूर बांटे, सहयोग लें। निःसंदेह समाधान मिलेगा। आगे की कार्य योजना बना लें कि किस तरह इस नुकसान की भरपाई करेंगे, कहीं आना-जाना होगा तो कैसे यात्रा होगी, बहुत सोच समझकर योजनाबद्ध तरीके से अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करना होगा। यदि आप नियमित दिनचर्या अपनाते हैं, तो निश्चित रूप से तनाव और अनिश्चितता को रोकने में मदद मिलेगी। सकारात्मक रहें, स्वस्थ रहें।
.
परिचय :- डॉ. ओम प्रकाश चौधरी
निवासी : वाराणसी, काशी
शिक्षा : एम ए; पी एच डी (मनोविज्ञान)
सम्प्रति : एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग श्री अग्रसेन कन्या स्वायत्तशासी पी जी कॉलेज
लेखन व प्रकाशन : कुछ आलेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित,आकाशवाणी से भी वार्ता प्रसारित।
शोध प्रबंध, भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित। शोध पत्र का समय समय पर प्रकाशन, एवम पुस्तकों में पाठ लेखन सहित ३ पुस्तकें प्रकाशित।
पर्यावरण में विशेषकर वृक्षारोपण में रुचि।
गाँधी पीस फाउंडेशन, नेपाल से ‘पर्यावरण योद्धा सम्मान’ प्राप्त।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…