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संवाद

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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पाटल कहे अलि से………..
मुस्कुराता था मैं अपनी,
खुबसूरती पे इतराता था।
मधुर गुंजार पर मैं तेरी,
झूम-झूम फिर जाता था।
रे अलि ये क्या किया?

आस-पासआकर जो तू,
जब इतना मुझे रिझाता था।
प्रेम भरी धुन पर मैं तेरी,
मचल-मचल जाता था।
रे अलि ये क्या किया?

ओ! भ्रमर तूने मुझे फिर,
चेत में रहने ना दिया।
चित्त-चैन चुराकर तूने,
विचलित, उद्विग्न फिर मुझे किया।
रे अलि ये क्या किया?

मधुर गीत गा-गाकर तेरे,
पास आने के प्रयास ने।
सुंदर-कोमल पंखुड़ियों को, मेरी
भेद-भेद विदीर्ण कर दिया।
रे अलि ये क्या किया?

अंतर में उमड़े प्रेम को,
प्राप्त तूने भी ना किया।
शांत सरोवर के भीतर तूने,
तरंगों-सा कंपन दे दिया।
रे अलि ये क्या किया?

अब अलि पाटल से कहे…..
तुझ पर सम्मोहित हो मैने,
घावों का परिणाम सहा।
चेतनता को जब पाया तो,
मन को घायल मैने किया।
रे पाटल ये क्या किया?

तुझ पर मरकर जब मैं,
सुध-बुध अपनी भूल गया।
काँटो ने जब पंखों को मेरे,
छिन्न-भिन्न संकीर्ण किया।
रे पाटल ये क्या किया?

तुझको पाने की चाहत में,
अंतस को तो था आहत होना।
अनभिज्ञ था कि इस प्यार में,
हमने था तो था सबकुछ खोना।
रे पाटल ये क्या किया?

अपनी इस हालत पे अब तो,
मेरी दोनों की आँखे रोती हैं।
पर इस मधुर प्रेम-स्मृति से,
अपनी जीवन ज्योति है।
रे पाटल ये अच्छा ही हुआ!

मिलन-बिछोह की ये रीति,
बड़ी अनोखी होती है।
प्रेम की ये अद्भुत अनुभूति,
जग में सबको नहीं होती है।
ओह! अनमोल प्रचिती है।।

रे पाटल तू भाग्यवान है,
जो तू इसमे ही जीता है।
रे अलि तू प्रेम-निष्ठा की,
सबको परिणति देता है।

मरकर भी जो यहाँ किसी के,
मन मे प्रेम बनकर जीता है।
उसने मानो इस जीवन को,
बिना समर ही जीता है।

पाटल (गुलाब), अलि (भौंरा)

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परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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