Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मानव से मानव को जोड़े

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

********************

नफरत की दीवारें तोड़ें।
मानव से मानव को जोड़ें।।
यकसांखून बनाया सबका,
यकसां जान बनाई है।
स्वीकारें ये इसमें लोगों,
सबकी छिपी भलाई है।।

हमको जन्म मिला यूं प्यारा,
जन-जन को दें सदा सहारा।
जितने भी प्राणी हैं जग में,
दर्जा सबसे अलग हमारा।।
कोई भी हम मजहब माने।
मानवता के सभी खजाने।।
कभी किसी में वैर भाव की,
दिखी नहीं परछाई है।
स्वीकारें ये इसमें लोगों,
सबकी छिपी भलाई है।।

प्यार सिखाते हैं सब मजहब,
नफरत किसने सिखलाई कब।
किसने दर्द नहीं समझा है,
पैरोंकार दया के हैं सब।।
पर पीडा को कौन बढ़ाता।
हिंसा से किसका है नाता।।
धरती पे दुख कैसे कम हों,
सबने अलख जगाई है।
स्वीकारें ये इसमें लोगों,
सबकी छिपी भलाई है।।

हम मजहब के लिए नहीं हैं,
कहो नही क्या बात सही है।
हमें जरूरत मजहब की तो ,
अपने हित के लिए रही है।।
कैसे जीवन अपना तारें।
दीनो दुनिया यहां संवारें।।
ठेकेदारों के गर मोहरे,
बनें बहुत दुखदायी है।
स्वीकारे ये इसमें लोगों,
सबकी छिपी भलाई है।।

मनके अलग एक माला है,
प्याले अलग एक हाला है।
“अनंत” राहें अलग अलग पर,
मंजिल पर रब रखवाला है।।
जब जैसी थी जहां जरूरत।
पैगम्बर लाए वो रेहमत।।
रेहबर इंसानों के खातिर ,
आए ये सच्चाई है।
स्वीकारें ये इसमें लोगों,
सबकी छिपी भलाई है।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
निवासी : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … 🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे सदस्य बनाएं लिखकर हमें भेजें… 🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *