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आओ खेलें होली

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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भर पिचकारी रंग ना डालो, सुन साथी हमजोली।
एक दूजे को गले लगाकर, आओ खेले होली।

मिटादो सारे बैर जो दिल मे कबसे तुमने पाल रखे।
उसको भी एक मौका दो जो दिल मे बुरे खयाल रखें।
फाल्गुन की लहर में तुम भी, बनालो अपनी टोली।

एक दूजे को गले लगाकर, आओ खेलें होली….

रंग मित्रता का है पीला, प्रेम का रंग है गुलाबी।
पियो भांग और खाओ मिठाई, मत बनो यार शराबी।
किसी के दिल को ठेस ना पहुंचे, बोलो ऐसी बोली।

एक दुजे को गले लगाकर, आओ खेलें होली….

मौसम बदला शीत ऋतु की होने को है बिदाई।
ग्रीष्म ऋतु की आहट हुई ये कैसी है रुत आई।
बच्चों ने पिचकारी मंगाई बनाके सूरत भोली।

एक दुजे को गले लगाकर, आओ खेलें होली….

इस होली तुम कबसे बिछड़े अपनो को मिलादो।
गलत आदतें बुरे कर्म तुम होली के संग जलादों।
आओ थोड़ा नाचलें गालें थोड़ी करलें ठिठोली।

एक दूजे को गले लगाकर आओ खेलें होली….

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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