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मंदिर मस्जिद से बाहर आ

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
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मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कॉलेज बनाएं।
कल की गलती आज सुधारें,
सेवा कर सेवक कहलाएं।।

ठोकर खाई जान गए हम,
क्यों कर घर में नफरत पाली।
क्या अच्छा वह पेड़ लगेगा,
हरी नहीं जिसकी हर डाली।।
हराभरा सुरभितगुलशन कर,
दूर – दूर खुशबू पहुंचाएं।
मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कॉलेज बनाएं।।

केवल हम अच्छे हैं ऐसा,
सोच हमेशा खंडित करता।
कहो खुदा या ईश्वर उसको,
पेट सभी का वो ही भरता।।
उसने कहा यही, वो सबका,
उसके पथ से दूर ना जाएं।
मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कॉलेज बनाएं।।

हम निरोग हों सदा सर्वदा,
ऐसी जो योजना बनाते।
अस्पताल हर गांव में होते,
हम सब उनका लाभ उठाते।।
गलियारों में बेड ना होते
खुद अपने को ये समझाएं।
मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कॉलेज बनाएं।।

निहित स्वार्थ से ऊपर उठके
मानवता का मंदिर खोलें।
बंदों की सेवा से बढ़कर,
नहीं बंदगी फिर क्यों डोलें।।
दिल में रबको बिठला करके,
आदर दें तो आदर पाएं।।
मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कालेज बनाएं।।

संख्या के अनुपात में अपनी,
मेडिकल सुविधाएं तोलें।
ताबड़ तोड़ परिश्रम करके,
घर के सभी खजाने खोलें।।
नहीं हमें क्या शर्म आएगी,
औषधि बिन अर्थियां उठाएं।
मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कॉलेज बनाएं।।

“अनंत” अपने भेद भाव सब,
तज दें प्यार बढ़ाएं सारे।
दूर रहें उनसे जो करते,
हत्याएं बनकर हत्यारे।।
मित्र बने हम प्रेम दया के,
धरती पर सागर लहराएं।
मंदिर मस्जिद से बाहर आ,
मेडिकल कालेज बनाएं।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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