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होली के रंग

रामकुमार पटेल ‘सोनादुला’
जाँजगीर चांपा (छत्तीसगढ़)

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(सरसी छंद)
कृष्ण-राधा संवाद

कृष्ण –
लाल रंग मैं डालूँ गोरी, तन-मन कर दूँ लाल।
तेरे गोरे गाल लगाऊँ, मल-मल लाल गुलाल।

राधा –
लाल रंग प्रियतम डालो ना, भय हिय होय हमार।
प्लाश सुमन मन आग लगाता, दहके ज्यों अंगार।

कृष्ण –
हरा रंग डालूँ मैं सजनी, मत करना इनकार।
हरा रंग में हरा- हराकर, बरसाऊँ रसधार।

राधा –
हरा रंग भी नहीं लगाना, हँसत सुआ उड़ जाय।
हरा पेड़ अब मुझे हराकर, कसत व्यंग हरषाय।

कृष्ण –
पीला रंग तुझे रंगाऊँ, मानो मेरी बात।
मेरी होली याद रखोगे, काहे हृदय लजात।

राधा –
पीला- पीला पोत न प्यारे, हल्दी हँसती जाय।
सरसों सुमन मगन हो नाचे, मेरा मन मुरझाय।

कृष्ण –
नीला रंग तुझे रंगाऊँ, सकल तन सराबोर।
प्रिये नहीं अब करना ना- ना, हिय में उठत हिलोर।

राधा –
नीला भी तो भय उपजाए, नीलकंठ खग रंग।
नीलकंठ नील कंठ धारे, भय मम हृदय भुजंग।

कृष्ण –
श्याम रंग मैं तुझे लगाऊँ , होली की है रीत।
श्याम रंग में बूड़त बाढ़े, हिय में अधिक पिरीत।

राधा –
श्याम रंग मोहे डर लागे, श्याम कोयला होय।
भ्रमर कृष्ण घन भी तो काला,पुष्प गोपी कृषि रोय।

कृष्ण –
रंग कौन – सा डालूँ सजनी, हिय भर जाय उमंग।
पिये बिना तन- मन जो झूमे, लगे कि खाए भंग।

राधा –
प्रेम रंग प्रियतम तुम डालो, भीगे मम सब अंग।
प्रेम गुलाल लगा होने दो , होली का हुड़दंग।

प्रेम रंग भर- भर पिचकारी, मारता नंदलाल।
गोरे- गोरे गाल लगाता, मल-मल लाल गुलाल।

ग्वाल बाल सब सखा धरे हैं, हाथ कटोरा रंग।
दौड़-दौड़ सब डाल रहे हैं, भीगे ग्वालिन अंग।

परिचय :-  रामकुमार पटेल ‘सोनादुला’
पिता : श्री बिसाहूराम पटेल
निवासी : अकलतरा जिला-जाँजगीर चांपा (छत्तीसगढ़)
जन्म : ०५/०८/१९७०
शिक्षा : स्नातकोत्तर हिन्दी साहित्य
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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