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सिक्के के पहलू

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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सिक्के के दो पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

अलौकिक दुनिया में कभी,
भाग्य एक सा नहीं होता।

देखा नहीं दुख अभी तलक,
कोई उम्मीद रोशनी खोता।

दुख दरिया का पड़ाव,
कब बन जाता सैलाब।

सिक्के के दो पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

किनारे नज़र ना आये कभी,
जुगनू भी नहीं होता।

कुछ आशाओं की मंशा में,
रात रात नहीं सोता।

हाथ खींचते नज़र चुराते,
काम ना आये कभी शराब।

सिक्के के दो पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

वक़्त पलटकर रख देता,
निश्चय फिर पलटे जरूर।

कर्मरथी के राही को,
दायित्व बोध बने सुरूर।

जब सीखे संस्कार घरों से,
जीवन जीते ज्यों नवाब।

सिक्के के दो पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

कुदरत खड़ी मुहाने और,
बहुत जरूरी हुई सियासत।

वर्तमान बैठा धुंधलके में,
छाई मायूसी और हिकारत।

कहीं नदारत इंसानियत है,
सेवाधर्मी हैं सही गुलाब।

सिक्के के दो पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

मेहनत से या चोरी हो,
खुशियां कर सकते हासिल।

बुरी राह से भविष्य में,
कहलायेगा वो जाहिल।

घटनाओं में सही फैसला,
झाड़ें नहीं सिर्फ रुआब।

अर्ज मर्ज कर्ज तर्ज,
बन जाता कभी जुलाब।

सिक्के के पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

जीवन की नेकी कभी,
पूरे कर जाती अरमान।

आदेश संदेश उपदेशों से,
खिंच जाते तीर कमान।

कुछ बोया अच्छा जो पाया,
जरा समझो अरे जनाब।

बुढ़ापे की लाठी बनो,
आज मिला जो तुम्हें शवाब।

सिक्के के दो पहलू जैसे,
निर्णय में होते दो जवाब।

अच्छा या कम अच्छा,
एक हो सकता बहुत खराब।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति :१९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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