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चक्षु बंद कर मैं तुम्हें पढूँगा

प्रदीप कुमार अरोरा
झाबुआ (मध्य प्रदेश)

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मैं तो हूँ कर्म पथ का राही,
नित जीवन के स्वप्न बुनूँगा,
कहते जाओ जो कहना है,
सबकी मैं हर बात सहूँगा।

मेरी चुप्पी ताकत मेरी,
तुम चाहो कमजोरी कह लेना,
यही आचरण कवच है मेरा,
इसे धारण मैं किये रहूँगा ।

दिल ही तो है दिल की बातें,
आकर मुझसे कह लेना,
संकेतों की वाणी सुन लेना,
समर्थन के ही शब्द कहूँगा।

घर मेरा सराय नहीं है,
आओ तो आकर मत जाना,
बिन लहरों के कहो बालू पर,
नौका बन मैं कैसे बहूँगा।

मेरा लक्ष्य तेरा हो जाये,
हो तेरा लक्ष्य फिर मेरा,
पहुँच शिखर तुम लहराना,
ध्वजदंड-सा मैं तुम्हें धरूँगा।

दिल ही तो है दिल की बातें,
जब दुनिया दोहराएगी,
तब-तब बाहुपाश में लेकर,
चक्षु बंद कर मैं तुम्हें पढूंगा।

परिचय :- प्रदीप कुमार अरोरा
निवासी : झाबुआ (मध्य प्रदेश)
सम्प्रति : बैंक अधिकारी
प्रकाशन : देश के समाचार पत्रों में सैकड़ों पत्र, परिचर्चा, व्यंग्य लेख, कविता, लघुकथाओं का प्रकाशन , दो काव्य संग्रह(पग-पग शिखर तक और रीता प्याला) प्रकाशित।
सम्मान : अटल काव्य सम्मान, शब्द सरस्वती सम्मान,
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है


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