धीरेन्द्र कुमार जोशी
कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र.
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जितना ऊंचा चढ़ रहा, तकनीकी का ज्ञान।
उतना ही नीचे गिरा, कलयुग का इंसान।
दोहरे चाल चरित्र हैं, मानव हुआ विचित्र।
आस्तीन के साँप हैं, कहलाते हैं मित्र।
जाति धर्म का भेद क्यों, करता है इंसान।
एक मिट्टी से हैं घड़े, हरिया औऱ रहमान।
मर्यादा भंगुर हुई, विकृत हुआ समाज।
कैसे हो उपचार अब, पड़ी कोढ़ में खाज।
भाई इतना न रखो, सीधा सरल सुभाय,
सीधा रहे दरख़्त जो, पहले काटा जाय।
गांवों की तस्वीर अब, बदल चुकी है खूब।
शहरों के अनुसरण में, गांव रहे हैं डूब।
युवा ढूंढते नौकरी, खेती लगती बोझ।
शहर बढ़ रहे बाढ़ से, गांव घट रहे रोज।
बेटा बूढ़े बाप को, दो रोटी न खिलाय।
हुई बाप की तेरवी, सारा गांव जिमाय।
बेटी हीरा देश का, मोहक सुमन सुवास।
है बेटी के रूप में, श्री लक्ष्मी का वास।
बेटे नालायक बने, भुगत रहे माँ-बाप।
माँ ने जन्मा पूत ही, बड़ा हुआ तो सांप।
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परिचय :-
नाम – धीरेन्द्र कुमार जोशी
जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.)
भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड.
कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना।
लेखन विधा ~ कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, नाटक, आलेख आदि। छात्रों में सामान्य ज्ञान और पर्यावरण चेतना का प्रसार।
प्रकाशन ~ नईदुनिया, दैनिकभास्कर, पत्रिका और हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, आकाशवाणी, दूरदर्शन से प्रसारण।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ शिक्षा के क्षेत्र में राज्यस्तरीय प्रशिक्षक।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता, पर्यावरण चेतना, नारी सम्मान जनजागरण ,व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ गोपालदास नीरज, रामधारी सिंह दिनकर, प्रेमचंद, शिवमंगल सिंह सुमन, कुमार विश्वास।
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश के प्रति आपके विचार ~
जहाँ कंकर-कंकर शंकर,जहां है कणकण में भगवान।
स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर, हमारा प्यारा हिंदुस्तान।
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