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चिंदी चोर बजाज हो गए

रमेशचंद्र शर्मा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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चिंदी चोर बजाज हो गए !
चूहों जैसे मिजाज हो गए !
कतरनों की जुगाली करते
चमचों के रिवाज हो गए !
गिद्धों कौओं चील झपट्टा
उनके ऊंचे परवाज हो गए !
भंडारे जीमते जाजमपर
टके सेर अनाज हो गए !
हरकारे मांगते हकदारी
कुछ फकीर नवाज हो गए !
खिदमत की नुमाइश करते
चोरों के सरताज हो गए !
बचा खुंचा बीन चाटकर
खबरों के मोहताज हो गए !
चौपाए सी करते जुगाली
नाली में सुर्खाब हो गए !
चंदो की चंदी चरित्रहीन
शाही जिनके अंदाज हो गए !
कोल्हू के बैल आंखों पट्टी
गुमनाम थे गुलनाज हो गए !
खबरों की खबर रखना सीखो
छछूंदर माथे सिरताज हो गए !
नीम हकीम खतरा ए जान
झोलाछाप के इलाज हो गए !

परिचय : रमेशचंद्र शर्मा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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