अक्षुण्ण बोहरे
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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वर्तमान में हमारे देश में बाल श्रम जैसी कुप्रथा, सामाजिक कुरीति एवं बुराई विकराल मुँह लेकर खड़ी है। बाल अवस्था में गरीबी एवं शिक्षा के अभाव में लाखों बच्चे इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। आज हमारे देश के कई पिछड़े राज्यों में बाल श्रम से प्रभावित बच्चों की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है, और यह ज्वलंत एवं गंभीर समस्या दिनोंदिन उग्र होती जा रही है।
भारत के संविधान १९५० के २४वें अनुच्छेद के अनुसार १४ वर्ष से कम आयु के बच्चों का कारखानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, होटलों, फैक्ट्रियों, ढाबों, दिहाड़ी मजदूर एवं घरेलू नौकरों के रूप में कार्य करना बाल श्रम के अन्तर्गत आता है। चाइल्ड लेबर (निषेध एवं विनियमन) एक्ट १९८६ के अनुसार १४ वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी का कार्य कराना गैर कानूनी होकर दण्डनीय माना गया है। किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) बाल अधिनियम २००० के अनुसार किसी भी व्यक्ति द्वारा बच्चों को मजदूरी के लिये विवश करने एवं मजदूरी कराने पर कठोर सजा का प्रावधान है। इसी प्रकार ०६ से १४ वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ के तहत् शिक्षा का अधिकार प्रदत्त है। कहने को तो केन्द्र एवं राज्य सरकारें, बहुत सारे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एन.जी.ओ. एवं कानून बाल श्रम को लेकर कार्य कर रहे हैं, परंतु इस दिशा में हो रहे प्रयास सार्थक सिद्ध न होते हुये समझ से परे हैं।
जीवन यूं तो सभी लोग विलासितापूर्ण तरीके से जीना चाहते हैं। जीवन की सभी सुख-सुविधाओं एवं खुशियों को प्राप्त करने की होड़ में वह अपने परिवार, समाज एवं देष के प्रति कर्तव्यों से दूर हो जाते हैं। हमें आवश्यकता है ऐसे व्यक्तित्व की, जो अपने जीवन का कुछ समय गरीब, असहाय, निर्धन, तिरस्कृत, अपंग लोगों के लिये जीयें। आज हमारे देष में ऐसे ही कई दिव्य पुरूष हैं, जिन्होंने अपना जीवन गरीब, असहाय, निर्धन, तिरस्कृत, अपंग लोगों के लिये न्यौछावर कर दिया और समाज एवं देश में व्याप्त बाल श्रम जैसी कुरीतियों, कुप्रथाओं एवं सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिये निरंतर कार्य कर रहे हैं। इनका सुख, खुशी एवं चैन निष्पक्ष भाव से समाजसेवा करना ही है।
हम सभी को अपने जीवन के छोटे से भाग का उपयोग देश में व्याप्त बाल श्रम जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने हेतु समर्पित करना चाहिये। क्यों कि बच्चे हमारे देश के भावी कर्णधार हैं। यदि अपने आस-पास १४ वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, होटलों, फैक्ट्रियों, ढाबों, दिहाड़ी मजदूर एवं घरेलू नौकरों के रूप में कार्य करते हुये पाये, तो इसकी सूचना तत्काल स्थानीय पुलिस/प्रशासन को दें।
परिचय :- अक्षुण्ण बोहरे
पिता – श्री विश्वेश्वर दयाल बोहरे
निवासी – ग्वालियर, मध्यप्रदेश
शिक्षा – स्नातकोत्तर (पत्रकारिता एवं जनसंचार, राजनीति साहित्य, अंग्रेजी साहित्य)
सम्मान – प्राइड ऑफ इण्डिया अवार्ड, पुलिस प्राइड अवार्ड, आईकोनिक मोटीवेटर अवार्ड, बेस्ट स्पीकर अवार्ड, यंग अचीवर एवं अन्य सम्मान।
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