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बाल मजदूर का दर्द

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रचियता : मीनाकुमारी शुक्ला – मीनू “रागिनी”

न छीनो मुझ से मेरा बचपन
ला कर दे दो मुझे कापी और कलम।
नहीं चाहिये कोई सौदे
नहीं चाहिये भरम।
बस लौटा दो मेरा बचपन।।

कहीं से किस्ती कागज वाली ला दो।
कलकल करते झरने बहा दो।
सतोलिया का खेल दोस्त ला दो।
न दिखाओ पैसों का सपन
बस लौटा दो मेरा बचपन।

नन्हे हाथ नहीं बने मजदूरी को।
चाहें खेल कर नापना
ये धरती गगन की दूरी को।
हटा दो मजबूरी के बंधन।
बस लौटा दो मेरा बचपन।

कब तक ईंटें ढ़ोता रहेगा।
चाय केतली को खेता रहेगा।
दे दो मुझे खिलौने
चाँद सूरज तारे चमचम।
बस लौटा दो मेरा बचपन।।

 

लेखक परिचय :-  मीनाकुमारी शुक्ला
साहित्यिक उपनाम – मीनू “रागिनी “
निवास – राजकोट गुजरात


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