Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

शतरंजी चालें

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
********************

जीवन की *शतरंजी* चालें,
हरदम चलना पड़ती।
जैसी चाल कोई पड़ जाए,
वैसा जीवन गढ़ती।

भारतवंशी *चौरंगी* ने,
बौद्धिक खेल बनाया।
स्वस्थ मनोरंजन होता था,
यह *चतुरंग* कहाया।

चौंसठ खाने इसमें होते,
यह *चौपाट* कहाती।
सोलह-सोलह मोहरे लेकर,
भिड़ते हैं दो साथी।

श्वेत- श्याम इसके पाँसे हैं,
जो *मोहरे* कहलाते।
इन्हें खेलने वाले जन भी,
गोरे काले कहलाते।

*प्यादे* सा जीवन बचपन का,
धीरे-धीरे चलता ।
चाहे जितना पानी डालो,
वृक्ष समय पर फलता।

युवा काल में होता मानव,
बिल्कुल *घोड़े* जैसा।
कर दिन रात परिश्रम भारी,
खूब जोड़ता पैसा।

युवा काल जाते ही जीवन,
होता जैसे *हाथी*।
खाता, पीता, मौज मनाता,
परिजन, संगी -साथी।

इसी समय मानव जीवन में,
बजे खुशी का बाजा।
मानव तभी समझता खुद को,
है शतरंजी *राजा*।

रहता है *वजीर* सेवा में,
*सैनिक* करें सुरक्षा।
रुतवे वाला ऐसा जीवन,
सबको लगता अच्छा।

जीवन ज्यों,ज्यों आगे बढ़ता,
फिर स्वतंत्रता खोती।
बोझ लाद मानव यों फिरता,
दशा *ऊँट* सी होती।

हर *मोहरे* का अपना जीवन,
अपनी अपनी चालें।
करने को जीवन की रक्षा,
रखना पड़ती ढ़ालें।

जीवन की *बिसात* पर जिसने,
सही चल दिए पाँसे।
सदा सफलता उसको मिलती,
यही सुना था *माँ* से।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *