अरविन्द सिंह गौर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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राकेश के पिता का देहांत १० वर्ष की उम्र में ही हो गया वह गांव में रहता था। उसकी मां ने उसे शहर लाकर पढ़ाने के लिए सब जमीन जायदाद छोड़कर वो शहर में आ गए और उसकी जमीन जायदाद पर उनके रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया। इस बीच जब थोड़ा बहुत समझदार हुआ तो उसने अपने गांव जाकर अपनी जमीन जाकर को देखनी चाही। राकेश की जमीन में अच्छी पैदावार नहीं होती थी पर वहां नहर निकलने के कारण वह जमीन पर अच्छी पैदावार होने लगी कीमत भी बढ़ गई।
जब वह अपने गांव गया तो उनके रिश्तेदारों ने उसे जमीन कि कागजात भी दिए ना ही जमीन के पैसे भी दिए और उन्हें उल्टा मारने की धमकी दी इस कारण वह वापस शहर में आ गए। वक्त बदलता गया पढ़ाई करके राकेश सरकारी महकमे में बड़ा अधिकारी बन गया था उसकी शादी हो गई और शहर में उसने अपना स्वयं का बड़ा मकान बना लिया था। राकेश के एक लड़का एक लड़की थी वही उसके जीवन का अब आधार बन गया था क्योंकि रिश्तेदारों ने तो जमीन लेकर उनसे कोई नाता नहीं रखा लेकिन जब उसके रिश्तेदारों को यह पता चला कि राकेश बड़ा अधिकारी बन गया और उसने बड़ा मकान भी बना लिया तो जिस तरह गुड़ पर मक्खियां भिन्न-भिन्न आती है उसी तरह उनके रिश्तेदार गरीबी में पूछते तक नहीं थे अब उसका बड़ा आदर सत्कार करने लगे, राकेश तो सच्चाई से अवगत था कि यह सम्मान उसका नहीं बल्कि उसके पद को दिया जा रहा है और मन ही मन सोचता कि वक्त में बदलाव हुआ तो व्यवहार में बदलाव होने लगा।
कुछ समय बाद राकेश की अचानक तबीयत खराब हुई उसका देहांत हो गया गया राकेश के चाचा का लड़का उनके घर पर मकान में किराए से रहता था उसके मन में लालच उत्पन्न हो गया उसने राकेश के परिवार को आपस में लड़वाना शुरू कर दिया क्योंकि उसके मन मकान पर कब्जा करने का लालच आ गया था।
राकेश का लड़का बहुत समझदार था उसे जब उसके चाचा के लड़के की इस हरकत का पता चला तो उसने समझदारी से काम लेते हुए अपनी मां को सारी हकीकत बताई और फिर उससे मकान खाली करवाया। आज राकेश के बेटे के मन में यह विचार जरूर आया कि वक्त बदला तो लोगों का व्यवहार बदल गया जो लोग पहले पूछते ना थे आज उनका इस्तकबाल बदल गया।
परिचय :- अरविन्द सिंह गौर
जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक
सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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