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पीत पल्लव को बदल…

भीमराव झरबड़े ‘जीवन’
बैतूल (मध्य प्रदेश)
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पीत पल्लव को बदल मधुमास लायेंगे।
भूलकर हम आज को, कल मुस्कुरायेंगे।।

भर गयी है टीस उर में रात ये काली।
उड़ गये पंछी घरों को छोड़कर खाली।
मर्ज के सैलाब ने विश्वास तोड़ा पर,
नवसृजन करने खड़ा है आज भी माली।।

आँसुओं को पोंछ कर उल्लास लायेंगे।
भूलकर हम आज को कल मुस्कुरायेंगे।।१

मानते हम भूल अपनों की हुई सारी।
जिस वजह से आज ये इंसानियत हारी।
सीख लेंगे अब सबक जो कल हँसायेगा,
फिर सुनेंगे कान मीठी बाल किलकारी।।

रंग के उत्सव खुशी से जगमगायेंगे।
भूलकर हम आज को कल मुस्कुरायेंगे।।२

जख्म इस इतिहास का जब कल पढ़ायेंगे।
नीड़ सूना कर गये सब याद आयेंगे।।
गीत मंगल कामना के शेष है ‘जीवन’,
जीत के हम फिर नये स्वर गुनगुनायेंगे।।

जोड़ अंतस को नये पुल हम बनायेंगे।
भूलकर हम आज को कल मुस्कुरायेंगे।।३

परिचय :- भीमराव झरबड़े ‘जीवन’
निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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