Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

बदला-बदला मौसम का मन

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
********************

बदला-बदला मौसम का मन,
बादल घिर-घिर आते हैं।
विरही नैना मन आंगन में,
अंगारे बरसाते हैं।।
*****
नींदे रातों की रूठी है,
रूठे हैं सपने सारे।
काले बादल बरसे हैं,
बैरन काली रातें हैं।।
*****
चुभन बड़ी बेदर्दी से तब,
दर्द बढ़ा देती तन का।
गीली नर्म हवा के झोंके,
जब-जब शूल चुभाते हैं।।
****
कितनी पीड़ा होती होगी,
आंखों से निकले आँसू।
मौन लबों के रहते भी सब,
राज उगलते जाते हैं।।
******
पानी आग बुझाने वाला,
जब शोले भड़कता है।
सिर्फ तपस्वी तन ही उसको,
काबू में कर पाते हैं।।
*****
मदिरा ऊपर से जब बरसे,
पवन नशीला बन जाए।
पीने वाले क्यों चूकेगें,
अपनी प्यास बुझाते हैं।।
*****
गीली राते हों साथी हों,
“अनंत” जिनके पहलू में।
रोज दिवाली होती उनकी,
हर दिन ईद मनाते हैं।।
****

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *