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चंद्रशेखर आज़ाद

प्रीति शर्मा “असीम”
सोलन हिमाचल प्रदेश
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अपना नाम …
आजाद ।
पिता का नाम …
स्वतंत्रता बतलाता था।

जेल को,
अपना घर कहता था।
भारत मां की,
जय -जयकार लगाता था।

भाबरा की,
माटी को अमर कर।
उस दिन भारत का,
सीना गर्व से फूला था।

चंद्रशेखर आज़ाद के साथ,
वंदे मातरम्…
भारत मां की जय…
देश का बच्चा-बच्चा बोला था।

जलियांवाले बाग की कहानी,
फिर ना दोहराई जाएगी।
फिरंगी को,
देने को गोली…आज़ाद ने,
कसम देश की खाई थी।

भारत मां का,
जयकारा …उस समय,
जो कोई भी लगाता था।

फिरंगी से वो…तब,
बेंत की सजा पाता था।
कहकर …आजाद
खुद को भारत मां का सपूत,
भारत मां की, जय-जयकार बुलाता था।
कोड़ों से छलनी सपूत वो
आजादी का सपना,
नहीं भूलाता था।

अंतिम समय में,
झुकने ना दिया सिर,
बड़ी शान से,
मूछों को ताव लगाता था।

हंस कर मौत को गले लगाया था।
आज़ाद…
आज़ादी के गीत ही गाता था।।

परिचय :- प्रीति शर्मा “असीम”
निवासी – सोलन हिमाचल प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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